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जन्माष्टमी पर जान लें बाल गोपाल की पूजा के नियम, शुभ मुहूर्त का रखें ध्यान

पंकज झा शास्त्री
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भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि 12 बजे हुआ था इसलिए जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जानी चाहिए. भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे जिसमें उनका जन्म आठवीं तिथि को वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र के रूप में हुआ था और यही वजह है कि इस त्यौहार को जन्माष्टमी कहते हैं। मिथिला क्षेत्रीय पंचांग सहित अधिकतर अन्य पंचांगों में भी इसवार जन्माष्टमी पर्व 19/08/2022, शुक्रवार को मनाने का विवरण मिलता है। सहर के पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार हिंदू धर्म की मान्यताओं से, इस दिन के रात्रि श्रीकृष्ण अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुए थे. इस दिन मथुरा और वृंदावन में बड़े हर्षोल्लास के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में भी कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस साल रक्षाबंधन की तरह कृष्ण जन्माष्टमी को तारीख को लेकर भी कन्फ्यूजन है।लोगों को अभी तक साफ-साफ नहीं पता चल पाया है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त को है या 19 अगस्त को? अधिकतर पंचांग अनुसार जन्माष्टमी 19 को ही मनाना उचित होगा।
द्वापर युग में जब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया, ठीक उनके पहले मां दुर्गा ने योग माया के रूप में जन्म लिया था। मां दुर्गा का यह दिव्य अवतार कुछ समय के लिए था। पंकज झा शास्त्री ने बताया 
गर्गपुराण के अनुसार भगवान कृष्ण की मां देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने ही बदलकर कर रोहिणी के गर्भ में पहुंचाया था, जिससे बलराम का जन्म हुआ। योगमाया ने यशोदा के गर्भ से जन्म लिया था। इनके जन्म के समय यशोदा गहरी नींद में थीं और उन्होंने इस बालिका को देखा नहीं था।
वहीं कंस के कारागार में देवकी के आठवें पुत्र के जन्म लेने के बाद वसुदेव उस बालक को नंद के यहां यशोदा के पास लिटा दिया, जिससे बाद में आंख खुलने पर यशोदा ने बालिका के स्थान पर पुत्र को ही पाया।
और वसुदेव यशोदा के यहां जन्मी बालिका( योगमाया) को मथुरा वापस आ गये और जब कंस ने उस बालिका को मारना चाहा तो वह हाथ से छूट कर आकाशवाणी करती हुई चली गईं। देवी योगमाया के बारे में कहा जाता है कि वे भगवान श्रीकृष्ण की बहन थी, जो उनसे बड़ी थीं।

इस बार जन्म अष्टमी ध्रुव योग में हो रहा है। चंद्रमा दिन के 09:58 के उपरांत वृष राशि में होगा।
भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी आरम्भ 18 के रात्रि 12:21 उपरान्त।
अष्टमी तिथि समापन 19 के रात्रि 01:14 तक। अतः जन्मअष्टमी 19 को मनाना उचित है।
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात्रि 11:58 से रात्रि 01:14 तक अति उत्तम रहेगा।

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