अनूप नारायण सिंह
रामगढ़ के पूर्वजों की धरोहर, उनकी ईमानदारी, कर्मठता एवं परिवार से मुक्त सामाजिक- राजनीतिक पृष्ठभूमि को आपके बनावटी समाजवाद के चेहरे ने कलंकित करने का काम किया है!
रामगढ़ विधानसभा की अस्मिता अब माननीय जगदा बाबू आपके हाथों में नहीं रही। रामगढ़ विधानसभा की ईमानदारी एवं कर्मठता की स्थापित पहचान को आपकी अति महत्वाकांक्षा ने कलंकित करने का काम किया है। आज आपकी खामोशी ऐसी कि शर्म भी शर्मसार हो रही है। आखिर कब टूटेगी आपकी चुप्पी ?
आप तो समाजवाद का मिसाल कायम करने का जीवन पर्यन्त नाटक करते रहे, लेकिन आज आपके समाजवाद का काला चेहरा परिवारवाद में सिमट कर रह गया। अब तो शर्म कीजिए और कुछ तो बोलिए। आखिर ऐसा कैसे होता रहा और आप नादान बने रहे।
क्या आप बिल्कुल धृतराष्ट्र बन चुके हैं ?
सत्ता में रहते हुए आपने सर्वप्रथम अपने बड़े बेटे को बिना किसी रिक्ति के विधानपरिषद में अवैध रूप से नौकरी लगवाया, एक बेटे को मुख्यमंत्री कोटा से मेडिकल कॉलेज में दाखिला कराकर डाक्टर बनाने का काम किया, जो कैमूर के एन.आर.एच.एम घोटाले का मुख्य आरोपी है एवं न्यायालय से बेल पर है। जिसे आपने अपने दल से विधानपरिषद चुनाव का प्रत्याशी बनाया। छोटे बेटे को मुख्यमंत्री कोटा से इंजीनियरिंग में दाखिला करवाया।वह भी चावल घोटाले का मुख्य अभियुक्त है एवं न्यायालय के द्वारा बेल पर है। इसे आपने जदयू में भेजा एवं महासचिव बनवाया।
दूसरा आपका सबसे लाडला बेटा, जिसे आपने उद्योगपति बनाया और उसके द्वारा अपनी काली कमाई को सफेद किया, वह भी चावल घोटाले का मुख्य अभियुक्त बना। सत्ता में रहते अपने रसूख का भरपूर इस्तेमाल कर के अपने बेटे को पहले पूंजीपति बनाया।
फिर पार्टी अध्यक्ष रहते अपने रसूख का इस्तेमाल कर बिहार सरकार का कृषि मंत्री बनवाने के लिए पुरी ताकत लगा दी। आप खुद को अपनी पार्टी लाइन से अलग दिखाने की कोशिश करते रहे, क्षेत्र की जनता को अपनी चालाकी से यह बताने की कोशिश करते रहे कि आपकी पहली प्राथमिकता समाजवाद है, परिवारवाद नहीं। जनता जान चुकी है कि आप तो धृतराष्ट्र हैं। अब बताएं महोदय, धृतराष्ट्र बने रहेंगे या चुप्पी तोड़ेंगे?
आज क्षेत्र ही नहीं पूरा बिहार, यहां तक कि देश को भी आपके काले समाजवादी चेहरे का पता चल चुका है। आपकी प्राथमिकता में परिवारवाद और वंशवाद था, है और आगे भी जारी रहेगा। अब तो ऐसा महसुस होने लगा कि आपके सत्ता में रहते जिस तरह से आपके बेटे एक से बढ़कर एक घोटाले में संलिप्त रहे, यह दर्शाता है कि उनके संरक्षक धृतराष्ट्र बने रामगढ़ के जगदानंद ही है।
संभवतः आप ही रहें हैं। आज आपकी खामोशी यह बतला रही है कि आप भी सत्ता की मलाई खाने के लिए नाटक करते रहे। आज मेरी बाध्यता और प्राथमिकता यही है कि रामगढ़ विधानसभा को कलंकित करने वाले लोगों के काले चिट्ठे को उजागर करुं, जिसका सूत्रधार स्वयं धृतराष्ट्र बने जगदानंद हैं। अपने सफेद कुर्ते पर काले छींटे न पड़े, इसके लिए अपने सभी बेटों को जनता की गाढ़ी कमाई लूटने का सूत्रधार बना दिया। शर्म आती है कि इस पर आज तक आपने कुछ नहीं बोला अब तो बोलिए सरकार। बताइए कि कुछ बोलेंगे और कुछ करेंगे। रामगढ़ विधानसभा पर लगे कलंक को मिटाने का काम कैसे करेंगे। क्या अपने मुख से कुछ शब्दों का चयन कर बोलने का साहस जुटा पाएंगे और रामगढ़ के धरती को शर्मसार होने से बचाएंगे?
आपके बयान का इंतजार क्षेत्र की जनता के साथ साथ पुरे बिहार और देश को है। अब तो चुप्पी तोड़िए जनाब या धृतराष्ट्र ही बने रहेंगे ??