पटना। बिहार की राजनीति में संख्या बल में सशक्त होने के बावजूद राजपूत जाति को सत्ता में कभी भी उचित भागीदारी नहीं मिल पाई मौजूदा समय में केंद्र और राज्य में सांसदों और विधायकों की अच्छी-खासी तादाद होने के बावजूद राजपूत हाशिए पर है। बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 7 पर राजपूत सांसद हैं जिनमें पांच भाजपा के एक जदयू और एक लोजपा के सिंबल पर चुनाव जीते है। सिवान से जदयू की कविता सिंह महाराजगंज से भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल छपरा से भाजपा के राजीव प्रताप रूडी वैशाली से लोजपा पारस गुट की वीना सिंह मोतिहारी से भाजपा के राधामोहन सिंह आरा से भाजपा के आर के सिंह तथा औरंगाबाद से भाजपा के सुशील सिंह सांसद है। जिसमें आरा से सांसद आरके सिंह को ही सिर्फ केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। जिन सीटों से राजपूत सांसद हैं उन सीटों के अलावे बांका पूर्णिया शिवहर तीन ऐसी सीटें हैं जहां राजपूत मतदाता निर्णायक भूमिका में और जहां इस समाज से आने वाले प्रत्याशी अच्छी टक्कर देने के बावजूद चुनाव हारे हैं।2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 28 राजपूत विधायक जीतकर आए, जबकि 2015 में 20 राजपूत विधायक जीते थे. पिछली बार के मुकाबले इस बार आठ राजपूत विधायक ज्यादा जीते हैं. बीजेपी ने इस बार 21 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से 15 लोग जीते हैं. जेडीयू के 7 राजूपत प्रत्याशियों में से महज 2 ही जीत सके है. वहीं दो वीआईपी के टिकट पर जीते तथा बाद में भाजपा में शामिल हो गए हैं. इस तरह से एनडीए के 29 टिकट में से 19 राजपूत विधानसभा पहुंचे।तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने इस बार 18 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से महज 8 उम्मीदवार ही जीत सके हैं. वहीं आरजेडी ने इस बार 8 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से सात उम्मीदवार जीते हैं. कांग्रेस के 10 में से एक राजपूत को ही जीत मिली है. इसके अलावा एक निर्दलीय राजपूत विधायक ने जीत दर्ज की है. बता दें कि पिछले चुनावों में बीजेपी के 9, आरजेडी के 2, जेडीयू के 6 और कांग्रेस से तीन राजपूत विधायक जीते थे. ऐसे में बीजेपी और आरजेडी में राजपूतों की जीत में भी इजाफा हुआ है तो जेडीयू में कमी आई है.
भाजपा जदयू की गठबंधन सरकार में राजपूत मंत्रियों की संख्या बिहार में पांच थी जदयू कोटे से लेसी सिंह सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय सुमित कुमार सिंह जबकि भाजपा कोटे से अमरेंद्र प्रताप सिंह तथा नीरज कुमार बबलू सुभाष सिंह मंत्री थे। महा गठबंधन सरकार में अब संख्या घटकर 3 पर आ गई है,सुमित कुमार सिंह और लेसी सिंह को कंटिन्यू किया गया है जबकि राजद कोटे से कई बड़े दावेदार होने के बावजूद सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया है सुधाकर सिंह राजद के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं। बिहार में अन्य जातियों से इतर राजपूत पॉलिटिक्स की कहानी भी बड़ी विडंबना से भरी हुई है इस जाति का टकराव पूरे बिहार में किसी से नहीं है जहां भी संख्या बल है वहां राजपूत ही राजपूत के दुश्मन बने हुए हैं। सिवान से जदयू की कविता सिंह सांसद है उनके पति अजय सिंह बड़े कद्दावर नेता है। सिवान में भाजपा नेता और पूर्व विधान पार्षद मनोज कुमार सिंह भाजपा विधायक करनजीत सिंह से उनकी टसल है। महाराजगंज सीट पर वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की सीधी टक्कर पूर्व राजद सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह से है यहां के पॉलिटिक्स में राजद के ही पूर्व दिवंगत सांसद उमाशंकर सिंह के पुत्र जितेंद्र स्वामी राजपूत पॉलिटिक्स के बड़े चेहरे है। सारण लोकसभा सीट से भाजपा के राजीव प्रताप रूडी सांसद हैं और यहां उनके खिलाफ बड़ा राजपूत चेहरा राजद के विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह है। वैशाली सीट पर लोजपा की वर्तमान सांसद बीना सिंह को पारू से भाजपा विधायक अशोक सिंह तथा वैशाली के पूर्व सांसद तथा वर्तमान में राजद नेता रामा सिंह से कड़ी टक्कर मिल सकती है। मोतिहारी में भाजपा सांसद राधा मोहन सिंह को घेरने में विधान पार्षद महेश्वर सिंह सफल रहे हैं वे निर्दलीय चुनाव जीते शिवहर सीट पर पूर्व सांसद लवली आनंद तथा भाजपा कोटे से मंत्री रहे वर्तमान विधायक राणा रणधीर सिंह के बीच कड़ी टक्कर है। आरा के वर्तमान सांसद आरके सिंह सुपौल के रहने वाले है आरा से लगातार दूसरी बार सांसद है राजपूत ही उनको सदैव घेरने में लगे रहते है इसमें कई बड़े चेहरे हैं, औरंगाबाद सीट पर भाजपा के सांसद सुशील सिंह को सदैव पूर्व सांसद और पूर्व राज्यपाल रहे निखिल कुमार से कड़ी टक्कर मिलते रहती है। राजपूत पॉलिटिक्स के बड़े चेहरे रहे महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह तथा पूर्व सांसद आनंद मोहन जेल में है नीतीश कुमार को बाढ़ में पटकनी देने वाले विजय कृष्ण हत्या के एक मामले से बरी हुए हैं पर वह वर्तमान पॉलिटिक्स में हाशिए पर है। अंग प्रदेश में नरेंद्र सिंह का परिवार काफी सशक्त रहा है लेकिन पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के निधन के बाद अब पूरा दारोमदार उनके पुत्र और बिहार सरकार में मंत्री सुमित कुमार सिंह के कंधे पर है। उनके बड़े भाई अजय प्रताप भी काफी सक्रिय है बांका लोकसभा सीट पर इस परिवार की नजर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की पत्नी पूर्व सांसद पुतुल सिंह का बांका से भाजपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ना फाइनल है इनकी पुत्री अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज श्रेयषी सिंह जमुई से भाजपा की विधायक हैं जबकि जमुई सीट पर नरेंद्र सिंह के परिवार का वर्चस्व रहा है ऐसे में बांका सीट राजपूत बनाम राजपूत की लड़ाई देखने को मिल सकती पूर्णिया में उदय सिंह बड़े चेहरे हैं पूर्व सांसद रहे हैं। बिहार में राजपूत पॉलिटिक्स कुछ एक बड़े परिवारों के इर्द-गिर्द ही घूमती रही हैं। मौजूदा समय में बिहार के राजनीति में सभी दलों ने राजपूतों से किनारा ही करने का काम किया है राजद ने भले ही जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया हो पर संख्या बल के आधार पर जो उचित भागीदारी मंत्रिमंडल में मिलनी चाहिए वह नहीं मिली है भाजपा में जो बड़े कद के राजपूत नेता है वह अब साइड लाइन के नेता हो गए पार्टी उन्हें संगठन या प्रदेश में बड़ी जिम्मेवारी देने से कतरा रही है। जदयू में गोपालगंज के मनजीत सिंह पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह सीतामढ़ी के राणा रणधीर सिंह युवा नेता अरविंद कुमार उर्फ छोटू सिंह सिवान से अजय कुमार सिंह ज्यादा सक्रिय नजर आते हैं। संगठन में जदयू ने राजपूत नेताओं को किनारा करने का काम किया है। कांग्रेस में पुराने लोग ही अपने बेटे बेटियों को रिन्यूअल करने में लगे जबकि राजद में थोड़ी सी संभावना ज्यादा नजर आती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है तथा यह उनके निजी विचार हैं)