अपराध के खबरें

तलाश : जिन्दा है आयांश

संवाद 

पिछले साल बिहार के सोशल मीडिया का सनसनी बना आयांश शायद अब अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है आयांश की स्थिति के लिए जितनी बड़ी जिम्मेवार उसकी बीमारी है उससे ज्यादा जिम्मेवार वह लोग हैं जो उसके क्राउडफंडिंग अभियान के बारे में कई तरह की अफवाहों को उड़ा कर अभियान को डाइवर्ट कर चुके हैं उन्हें बच्चे के मरने जीने से कोई फर्क नहीं पड़ता। निजी स्वार्थ में मानवीयता और इंसानियत कितनी जघन्य अपराध की तरफ बढ़ सकती है इसका सजीव नमूना है आयांश मामले में जानबूझकर उसकी मौत की अफवाह उड़ाने वाले तथाकथित सोशल मीडिया के अपराधी।सोशल मीडिया की ताकत थी कि पिछले साल 16 करोड़ की राशि जुटाने में 1 महीने के अंदर 7 करोड़ की राशि जुटा ली गई थी पटना के रूपसपुर में एक नन्हे बालक आयांश को बचाने के लिए बिहार के तमाम स्टार सुपर स्टार और ऊपर स्टार उसके घर के बाहर गणेश परिक्रमा कर रहे थे कोई गीत गा रहा था तो कोई क्राउडफंडिंग में मदद भी कर रहा था। स्टारडम ऐसा कि 1 महीने तक देश की तमाम खबरें छोटी पड़ गई थी हर किसी के सोशल मीडिया स्टेटस पर वह ही नजर आता था फिर आई उसके पिता की बैक हिस्ट्री। इस मामले में पुलिस के दबाव से नहीं सोशल मीडिया यूजर्स के ट्रोल किए जाने से परेशान आयांश के पिता आलोक सिंह ने रांची के अदालत में आत्म समर्पण किया फिर इस मामले में उन्हें रिहा भी किया गया पर इस प्रकरण को एक गैंग विशेष द्वारा इस तरह से प्रचारित प्रसारित किया गया की यह मामला बीच राह में अटक गया। पिछले एक वर्ष से इस नन्हे बालक को बचाने के लिए क्राउडफंडिंग के माध्यम से जमा 8 करोड़ की राशि जस की तस अकाउंट में पड़ी हुई है बच्चा लाइफ सपोर्ट पर हैं दुआओं के लिए उठे करोड़ों हाथ एक मिथ्या प्रचार के बाद वापस हो गए किसी ने इस बच्चे की सुध नहीं ली सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले प्रकरण उस गुब्बारे की तरह होते हैं जिसमें एक छोटा छेद होते हैं उसकी हवा निकल जाती है पर यह गलत है। अयांश के पिता अगर गलत है तो कानून उन्हें सजा दे सकता है पर इसमें उस छोटे बच्चे की क्या गलती अगर आपको लगता है कि गलत व्यक्ति के बच्चे या परिवार की मदद नहीं करनी चाहिए तो उन तमाम लोगों का राजनीति फिल्म और अन्य क्षेत्रों में विरोध होना चाहिए जिनके बाप दादा बड़े घोटाले या अन्य स्कैंडल में फंस कर जेल में है या कानूनी पचड़े में। जिन लोगों ने ₹5 भी चंदा नहीं दिया उन्हें इस बात की चिंता आज भी सता रही है कि 8 करोड रुपए का क्या होगा ये रुपए ना सरकार के हैं ना किसी संस्था के रुपए लोगों ने 10 ₹5 करके बच्चे को चंदा दिया है। जो बच्चे के इलाज पर खर्च होना है और होगा भी। पर उनका क्या जिन्हें हर एक चीज में राजनीति विद्वेष कटुता नकारात्मकता नजर आती है ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार तो होना ही चाहिए उनके खिलाफ अपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया जाना चाहिए। जो व्यक्ति खुद बौद्धिक आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध होगा वही दूसरे की मदद कर पाएगा पर रक्तबीज के भाती अति उतावलापन में जन्मे सोशल मीडिया के कुछ रक्तबीज खुद को संविधान कानून से ऊपर समझते हैं। इंसान को समस्या का समाधान बनना चाहिए समस्या में पडकर समस्या को और विकराल नहीं करना चाहिए हमारी सहानुभूति कल भी नन्हे आयांश के साथ थी आज भी है और तब तक रहेगी कि जब तक इस बच्चे का इलाज नहीं हो जाता।

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