संवाद
बिहार में अब महागठबंधन की सरकार है। नीतीश कुमार ने 10 अगस्त को महागठबंधन के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है। तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बन गये हैं। जेडीयू से भाजपा का रिश्ता टूटने के बाद पांच सालों से सत्ता में रही बीजेपी अब विपक्ष में आ गई है। भाजपा ने नीतीश कुमार पर विश्वासघात के आरोप लगा सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष का ऐलान कर दिया है। बड़ा सवाल यही है कि बिहार विधानमंडल में अब भाजपा का चेहरा कौन होगा? सदन में नीतीश सरकार को जोरदार तरीके से घेरने का दायित्व किसे मिलेगा? इसको लेकर बीजेपी के अंदर कयास लगने शुरू हो गये हैं। भाजपा जिन पर दांव लगायेगी,स्वाभाविक है कि वो 2024-25 चुनाव में पार्टी का चेहरा होंगे। जानकार बताते हैं कि 2020 में नेता चयन में धक्का खा चुकी पार्टी अब बिहार में फूंक-फूंक कर कदम रखेगी।
बिहार में बीजेपी को जुझारू नेता की जरूरत
बिहार बीजेपी 2020 चुनाव परिणाम के बाद सुशील मोदी को साइड कर तारकिशोर प्रसाद को विधायक दल का नेता व रेणु देवी को उप नेता चुना था। दोनों नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम थे। कहा जा रहा है कि नेतृत्व ने दल के जिन दो नेताओं पर जिम्मेदारी सौंपी थी वे कसौटी पर खरे नहीं उतरे। न तो वे सरकार के अंदर और न ही बिहार की जनमानस में अपनी गंभीर छाप छोड़ सके। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि अगर विपक्ष के नेता के तौर पर नेतृत्व ने एक बार फिर से पूर्व डिप्टी सीएम पर दांव लगाया तो सरकार को घेरने की मंशा सफल नहीं होगी। सीएम नीतीश कुमार को सदन से लेकर सड़क तक घेरने के लिए सुशील मोदी जैसे जुझारू और तेजतर्रार नेता की जरूरत है। ऐसे में भाजपा नेतृत्व विपक्ष के नेता के तौर पर किसी दूसरे नेता का चयन करेगी या फिर से तारकिशोर प्रसाद पर ही दांव लगायेगी? वैसे शीर्ष नेतृत्व को आगामी चुनाव और समाजिक समीकरण को ध्यान में रखकर ही विधानमंडल दल के नेता का चयन करेगी।
तारकिशोर प्रसाद रहे बेअसर
सत्ता छीने जाने के बाद बिहार बीजेपी ने संघर्ष का ऐलान कर दिया है। अब सदन में भाजपा का चेहरा कौन होगा। नेता प्रतिपक्ष बनने की रेस में कई विधायक हैं। बिहार विधानसभा में सरकार को घेरने के लिए अनुभवी,जानकार और वाकपट्टु नेता की जरूरत है, जो सरकार को हर समय कटघरे में खड़ा कर सके। जानकार बताते हैं कि रेस में कई विधायक हैं। तारकिशोर प्रसाद भाजपा विधायक दल के नेता हैं. करीब डेढ़ सालों तक डिप्टी सीएम रहे. लेकिन सरकार में इनकी पकड़ न के बराबर रही। बताया जाता है कि इतने दिनों बाद भी ये न दल के विधायकों पर छाप छोड़ सके और न ही बिहार की जनता के बीच। सदन के अंदर सरकार को कटघरे में खड़ा कर पायेंगे, इसको लेकर संशय है। रेणु देवी जो विधायक दल की उप नेता हैं वे भी बेअसर रहीं। ऐसे में सदन के अंदर मुट्ठी भर ही ऐसे नेता हैं तो तर्कों और आंकड़ों के सहारे सरकार को घेर सकते हैं। वरिष्ठ विधायक नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार पूर्व में नेता विरोधी दल रह चुके हैं। लेकिन वे लोग बीजेपी का चेहरा नहीं बन सके। ऐसे में भाजपा नेतृत्व किस विधायक को सदन के अंदर अपना चेहरा बनाती है,इस पर सबकी निगाहें हैं।
बिहार विधान परिषद में दो नेता रेस में
अब बिहार विधान परिषद की बात कर लें। बिहार विधानपरिषद में विपक्ष के नेता कौन होंगे। इमें दो नामों की चर्चा तेज है। नवल किशोर यादव और सम्राट चौधरी के नाम की चर्चा तेज है। नवल किशोर यादव सरकार पर हमला करने का कोई मौका नहीं चुकते। भाजपा के सरकार में रहने के दौरान भी कई मुद्दों पर सरकार को घेरते रहे हैं। सदन में ये अब तक सत्ताधारी दल के उप नेता थे। वहीं सम्राट चौधरी भी विप में विपक्ष के नेता हो सकते हैं। बीजेपी इन पर भी दांव लगा सकती है। सम्राट चौधरी की भी अच्छी पकड़ है।