अनूप नारायण सिंह
पटना। पूरे बिहार में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू है ग्राम पंचायत के विकास के लिए जितने भी केंद्र और राज्य प्रायोजित योजनाएं हैं उसका क्रियान्वयन सीधे पंचायतों के माध्यम से होता है पंचायत में मुखिया को पंचायत का मुख्यमंत्री भी कहा जाता है बिहार के सर्वश्रेष्ठ मुखिया का सम्मान लगातार दो वर्ष से प्राप्त कर रहे बांका जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष तथा बांका जिले के बभंगामा पंचायत से लगातार जीत की हैट्रिक लगाने वाले मुखिया दिगंबर मंडल का कहना है कि गांव के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। खुद को सर्वश्रेष्ठ मुखिया का सम्मान मिलने पर उन्होंने कहा कि जिम्मेदारियां बड़ी है लोगों की अपेक्षाएं बढ़ी है वह लगातार अपने दायित्वों का इमानदारी पूर्वक निर्वहन करते हैं वह कोई अलग काम नहीं करते उन्हें जो जिम्मेवारी मिली है बस उसी को पूरा करते हैं जितने भी सरकारी योजनाएं हैं उसका ऑफिस दी पंचायत में खर्च होता है यही कारण है कि उनका पंचायत पूरे बिहार का रोल मॉडल बना हुआ है उनके पंचायत में सबसे ज्यादा जानवरों का शेड है हर घर शौचालय है सबसे ज्यादा वृक्षारोपण हुआ है नल जल योजना जल जीवन हरियाली योजना वृद्धावस्था पेंशन योजना अंत्योदय योजना जैसी तमाम योजनाएं उनके पंचायत में शत-प्रतिशत लागू हुई प्राकृतिक विषमता के बीच बसे उनके पंचायत के लोगों ने भी उनका पूरा सहयोग किया है दिगंबर मंडल मानते हैं कि अगर आदमी ईमानदार हो और दिल में कुछ करने की तमन्ना हो तो वह जरूर इतिहास रच देता है वह कहते हैं कि उनके पंचायत से पहले उनके पिताजी मुखिया हुआ करते थे उसके बाद लगातार तीन बार से वे चुनाव जीत रहे हैं उनकी कोशिश होती है कि जितनी भी सरकारी फंड है वह पूरा का पूरा उनके पंचायत में खर्च हो उन्होंने अपने पूरे पंचायत में सर्वाधिक पेड़ लगाए हैं सड़कों का जाल बिछा है जितनी भी बुनियादी सुविधाएं हैं उनके पंचायत में मौजूद है बावजूद इसके बहुत सारी कमियां है जिसको लेकर उन्होंने हाल ही में पटना में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के ग्राम संसद में सवाल भी उठाया जहां केंद्रीय पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह बिहार सरकार के मंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद थे। दिगंबर मंडल का कहना है कि पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा का सवाल सबसे अहम है साथ ही साथ जितने भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं उन्हें अगर उचित मानदेय मिले तो फिर सरकारी योजनाओं में जो लूट का सवाल उठता है वह रुक जाएगा चाहे कोई व्यक्ति 500 लोगों का प्रतिनिधि हो या 5 करोड़ का प्रतिनिधि लोकतंत्र में सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधि जनता के सेवक हैं फिर उनके सुविधाएं और भत्ते में भेदभाव बर्दाश्त नहीं होगा इसको लेकर भी लगातार सवाल उठा रहे हैं उन्होंने कहा कि बिहार में जिस तरह से पंचायत प्रतिनिधियों की हत्या हुई है उसको लेकर भी राज्य सरकार ने कठोर कदम उठाए हैं वे चाहते हैं कि जो लोग बेहतर काम कर रहे हैं उन्हें आदर्श के रूप में प्रचारित प्रसारित तो किया ही जाए दूसरे को भी प्रोत्साहित किया जाए। एक सवाल के जवाब में दिगंबर मंडल ने कहा की मुखिया लोकतंत्र का सबसे छोटा इकाई है पर सबसे पावरफुल है एक गांव के समृद्धि में एक ईमानदार मुखिया बहुत बड़ी परिवर्तन का वाहक हो सकता है जिसका जीता जागता नमूना उनका ग्राम पंचायत है उनके ग्राम पंचायत के लिए भी वही नियम कानून है जो बिहार के अन्य पंचायतों के लिए है पर उन्होंने कभी भी विकास से समझौता नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वह बांका जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष भी हैं इस कारण से अपने जिले के जितने भी मुखिया हैं उनके सवालों को लेकर भी प्रदेश और देश स्तर के मंच पर सवाल उठाते रहते हैं।