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अब रूपहर्ले पर्दे पर गुरु डॉक्टर एम रहमान

अनूप नारायण सिंह 

आनंद कुमार पर बनी फिल्म सुपर-30 के बाद अब बिहार के एक और गुरु की कहानी फिल्मी पर्दे पर आएगी। पटना में सिविल सर्विसेज की तैयारी कराने वाले गुरु रहमान पर ' मैं भी गुरु रहमान' फिल्म बन रही है। फिल्म को लेकर गुरु रहमान काफी उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि अगले साल यह फिल्म आ जाएगी।गुरु रहमान ने अपनी आनेवाली फिल्म के बारे में बताया कि इस फिल्म की पटकथा माधव सक्सेना ने लिखी है। फिल्म का स्क्रिप्ट दो भागों में बंटा है। फर्स्ट हाफ में दर्शकों को जहां संघर्ष और प्रेम की झलक दिखेगी, वहीं सेकंड हाफ में गरीब बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने के सपने को मूर्त रूप देने की जद्दोजहद दिखेगी।उन्होंने बताया कि फिल्म में गुरु रहमान का किरदार आयुष्मान खुराना, रणबीर सिंह, शाहिद कपूर या विक्की कौशल में से कोई एक निभाएंगे। 81 करोड़ के बजट से इस फिल्म का निर्माण हो रहा है।गुरु रहमान समाज के लिए एक मिसाल हैं। अब तक सौ से अधिक लड़कियों का कन्यादान करा चुके हैं। उन्होंने खुद भी सामाजिक बंधनों को तोड़ते हिंदू महिला से शादी की है। शादी के बाद इनकी पत्नी आज भी हिंदू धर्म का पालन कर रही हैं। गुरु रहमान अपने विचार और कर्म पर विश्वास रखते हैं। वे वेद के भी अच्छे जानकार हैं। इनका जन्म सारण जिले के बसंतपुर में 10 जनवरी 1974 को हुआ। प्रारंभिक शिक्षा डेहरी ऑन सोन से प्राप्त की। उसके बाद स्नातक करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय चले गए। यहां से उन्होंने प्राचीन भारत एवं पुरातत्व में स्नातक और मास्टर्स भी किया। इसके बाद कोचिंग में पढ़ाना शुरू कर दिया। बाद में वह पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगे, जहां यूजीसी ने उन्हें बेस्ट टीचर का अवार्ड दिया गया। साल 1997 में इन्होंने ऋगवेद कालीन आर्थिक एवं सामाजिक विश्लेषण विषय पर पीएचडी पूरी की।डॉ. रहमान ने 1997 प्रेम विवाह किया। इनकी पत्नी का नाम अमिता है, लेकिन अंतरधार्मिक विवाह करने के कारण समाज और उनके घर वालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं हुआ। रहमान बताते हैं कि घर वाले अमिता को इस शर्त पर अपनाने को राजी थे कि वह इस्लाम कबूल कर ले, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाले डॉ. रहमान को यह मंजूर नहीं था। इन्होंने पत्नी पर कभी कोई दबाव नहीं बनाया। इस कारण घर वालों ने उनसे नाता तोड़ लिया। शादी के लगभग सात वर्षों तक दोनों पति-पत्नी अलग रहे। रहमान लॉज में और अमिता गर्ल्स हॉस्टल में रहीं। भाड़ा चुकाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी।
आर्थिक सहयोग नहीं मिलने के कारण यह दौर काफी कठिन था। किसी तरह कुछ दिन गुजरे। बाद में प्रो. विनय कंठ की कोचिंग में पढ़ाने का मौका का मिला। इससे महीना में तीन-चार हजार रुपए आने लगे। साल 2004 में इनकी एक किडनी खराब हो गई। इलाज कराने के दौरान इनका सारा पैसा खर्च हो गया। इस वजह से इनकी पत्नी को गहना तक बेचना पड़ा। काफी इलाज के बाद भी जब रोग ठीक नहीं हुआ तो इन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लिया। इससे इन्हें काफी आराम मिला। इसी के बल पर यह आज तक स्वस्थ हैं और घंटों तक छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हैं।गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए इन्होंने अपनी बेटी अदम्या अदिति के नाम पर 2010 में संदलपुर इलाके में अदम्या अदिति गुरुकुल की नींव रखी। ये प्रयासरत थे कि यहां एक अनाथालय का निर्माण कराया जाए, जिसमें सैकड़ों गरीब बच्चों को मुफ्त में खाने-पीने, रहने और शिक्षा की व्यवस्था हो। मात्र 11 रुपए में गरीब बच्चों के सपनों को मूर्त रूप देने के सपने को साकार करने में लग गए। इस फिल्म में गुरु रहमान के जिंदगी के अनछुए पहलुओं को दर्शक देख पाएंगे। 

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