मिथिला हिन्दी न्यूज :- गुजरात के मोरबी में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के रविवार शाम टूट जाने से कम से कम 100 लोगों की मौत हो गई। मौत का आंकड़ा अभी बढ़ भी सकता है। एक निजी कंपनी द्वारा सात महीने तक पुल का मरम्मत कार्य करने के बाद इसे चार दिन पहले ही जनता के लिए फिर से खोला गया था। हादसे के बाद अब तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र मच्छु नदी पर बना केबल पुल शाम करीब साढ़े छह बजे टूट गया। हादसे में कम से कम 100 लोगों की मौत हो गई है।
1) गुजरात में पुल टूटने से 100 लोगों की मौत और 100 से ज़्यादा घायलों का ज़िम्मेदार कौन है?
2) मरम्मत के बाद उद्घाटन के पाँचवे दिन ही पुल ताश के पत्तों की तरह कैसे बिखर गया?
3) संदीप सिंह झाला, मोरबी म्युनिसिपल चीफ ऑफिसर का कहना है “हमारी अनुमति के बिना खोला गया पुल” - यह कैसे सम्भव है?
4) पुल खोलने की अनुमति किसने दी? 5 दिन में 12,000 लोग वहाँ टिकट ख़रीद कर आए तब प्रशासन जिसने अनुमति नहीं दी थी - कहाँ थे, कार्रवाई क्यों नहीं की?
5) फ़ायर डिपार्टमेंट का कहना है फ़िट्नेस सर्टिफ़िकेट तक नहीं लिया गया- आख़िर इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है?
6) एक पुराना वीडियो वायरल क्यों किया जा रहा है? इसके पीछे क्या साज़िश है? यह भ्रमित करने का काम क्यों? किसने शुरुआत की इस फ़र्ज़ी वीडियो की?
सोचिएगा ज़रूर - जो 91 लोग उत्सव मनाने निकले थे पर भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते मौत के घाट उतर गए - उसके लिए ज़िम्मेदार कौन?
ऐसी त्रासदी पर राजनीति ग़लत है - लेकिन जिस प्रधानमंत्री ने बंगाल में ऐसा ही एक पुल टूटने पर उसे ईश्वर की मर्ज़ी बताया था - क्या आज वह यह जवाब देंगे - कि इसका ज़िम्मेदार गुजरात में कौन है? याद रखिएगा मरने वालों में अधिकतर छोटे बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग हैं।
मन व्यथित है - प्रार्थना में सिर झुका है, लेकिन दिमाग़ में एक ही सवाल कौंध रहा है - इस त्रासदी से बचा जा सकता था - इसका ज़िम्मेदार कौन?