अनूप नारायण सिंह
पटना। डेंगू के बढ़ते प्रभाव वन निगम प्रशासन की लचर रवैया से काफी आक्रोशित हैं वार्ड 44 की निवर्तमान पार्षद तथा पटना नगर निगम के मेयर पद के प्रत्याशी माला सिन्हा। माला सिन्हा द्वारा शासन प्रशासन से गुहार लगाने अधिकारियों को पत्र लिखे जाने के बाद नगर निगम प्रशासन ने रविवार को शहर के वार्डों में अभियान चला कर फॉगिंग शुरू कराई। दावा किया गया था कि एक भी मुहल्ला नहीं बचेगा जहां दो-तीन पालियों में फॉगिंग न कि गयी हो। माला सिन्हा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कुछ मुहल्लों में मैंने भी जाकर देखा। फॉगिंग करनेवाली टीम सुबह के पांच बजे से सड़कों पर थी। सराहनीय प्रयास है। लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है। यह सतत करना होगा। एक-एक घर के बाहर तक करना होगा। निगम के सभी अभियानों को एक-एक दरवाजे तक पंहुचना होगा। होल्डिंग टैक्स की वसूली की तरह।
कमिशनर साहब, दावा को हकीकत में बदलने के लिए आपको थोड़ी और कमर कसनी होगी। मुहल्लों में जाकर लोगों से बात करनी होगी। आपके कर्मचारियों और अधिकारियों के दावे की पड़ताल करनी होगी। नहीं तो आपकी भद्द पिटती रहेगी।
मैनपुरा निवासी संजय शर्मा ने फोन करके बताया कि उसके घर में दो लोग डेंगू से बीमार हैं। उनके मुहल्ले में पिछली बार कब फॉगिंग हुई है, याद नहीं है। इधर कमिशनर साहब दावा करते हैं कि डेंगू प्रभावित इलाकों में प्राथमिकता के आधार पर फॉगिंग कराई जा रही है। अब आप हकीकत भी देख लीजिए। ऐसे कई लोगों के कॉल आये हैं जहां फॉगिंग तो छोड़िए कूड़े का उठाव तक नहीं हो रहा है। मुहल्ले की सड़कों पर ठेहुना भर पानी जमा है। किश्तों में उनकी पीड़ा उनकी जुबानी है। जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार स्वच्छ सर्वेक्षण सर्वे में पटना के 40 वार्डों को शामिल ही नहीं किया गया है। यदि यह सच है, तब तो गम्भीर बात है। आंख बंद कर लेने से दिन को रात नहीं कहा जा सकता। इन 40 वार्डों की समस्या दूर करने के बजाय पटना को सर्वे रैंकिंग में किसी तरह ऊपर दिखाने के लिए यह एक तरह की चीटिंग ही है।