मिथिला हिन्दी न्यूज :- मिथिलांचल का लोकपर्व कोजागरा आज धूमधाम से मनाया जा रहा। मिथिला के नवविवाहित दूल्हों के घर कोजागरा को लेकर उत्सवी माहौल देखा जा रहा है। घरों में दूल्हे के ससुराल से आने वाले भाड़ को लेकर चर्चाएं होनी शुरू हो चुकी है। रिश्तेदारों और मेहमानों के आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। वहीं दूसरी ओर कोजागरा को लेकर बाजार में भी चहल-पहल है। शहर में जहां-तहां मखाना की दुकानें सजी हुई है। कोजागरा के अवसर पर मिथिलांचल क्षेत्र में समाज के लोगों में मखाना-बताशा और पान बांटने की परंपरा है। हालांकि, समय के साथ-साथ अब इस पर्व के स्वरूप में भी बदलाव होने लगे हैं। अब पहले की तरह कोजागरा के अवसर पर सामाजिक सरोकार नहीं दिखता। धीरे-धीरे यह पर्व महज परंपरा को निभाती दिख रही है।
सामाजिक समरसता का प्रतीक कोजागरा
कोजागरा पर्व आश्विन यानी की शरद पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष काल में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही नवविवाहित दूल्हे का चुमाउन कर नवविवाहितों के समृद्ध और सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना की जाती है। इसके बाद लोगों के बीच मखाना-बताशा, पान आदि बांटे जाते हैं। इस रात जागरण का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि कोजागरा की रात लक्ष्मी के साथ ही आसमान से अमृत वर्षा होती है। पूरे वर्ष में शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा सबसे अधिक शीतल और प्रकाशमान प्रतीत होते हैं।
मखाना-बताशा का खास महत्व
पान व मखाना को मिथिलांचल की पहचान माना जाता है। इस पर्व में भी मखाना और पान का विशेष महत्व है। इस कारण से पूरे वर्ष में मखाना के भाव सबसे अधिक इसी दौरान होते हैं। शहर से लेकर गांवों तक में जगह-जगह मखाना की दूकानें सज चुकी है।