दीपावली के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन और गौ पूजा का विशेष महत्व है। आज गोवर्धन पूजा का पावन पर्व है, मान्यता है कि इस दिन गाय की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। आज गोवर्धन पूजा के साथ भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा की जाएगी। शिल्पकार और श्रमिक वर्ग गोवर्धन पूजा के दिन दिन विश्वकर्मा का पूजन भी श्रद्धा भक्तिपूर्वक करते हैं। आज अपने घर- व्यवसाय के विकास व वृद्धि की कामना से दीप जलाए जाते हैं।विश्वकर्मा देव शिल्पकार माने जाते हैं जिनका जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। भगवान विश्वकर्मा की जयंती वैसे तो 17 सितंबर को होती है लेकिन गोवर्धन पूजा के इनकी विशेष पूजा किए जाने का प्रावधान है। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के वास्तुकार माने गए हैं। इन्हें यांत्रिक विज्ञानं तथा वास्तु कला का जनक कहा जाता है। फैक्ट्री आदि में काम करने वाले मजदूर , मिस्त्री, कारीगर, शिल्पकार, फर्नीचर बनाने वाले, मशीनों पर काम करने वाले लोग गोवर्धन पूजा के दिन मशीनों औजारों आदि की साफ सफाई करते है, पूजा करते हैं और श्रद्धापूर्वक भगवान विश्वकर्मा का पूजन किया जाता है।