मिथिला हिन्दी न्यूज :- इस वक्त बिहार समेत पूरा उत्तर भारत लोक आस्था के महापर्व 'छठ' के रंग में रंगा हुआ है, आज शाम सूर्य भगवान को पहला अर्घ्य दिया गया।कल सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा का समापन होगा, मालूम हो कि मंगलवार को सूर्यदेव को भोग लगाने के बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया था।पूरी दुनिया में छठ ही अकेली पूजा है, जिसमें डूबते यानी अस्त होते सूरज और उगते हुए सूर्य दोनों की पूजा की जाती है। दोनों ही स्थितियों में सूरज भगवान को अर्ध्य दिया जाता है। इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है। अस्त होता हुआ सूरज आपको विश्राम और कालचक्र के बारे में बताता है जबकि उगता सूरज नई ऊर्जा और नई सोच का प्रतीक है।अस्त होता सूरज ये बताता है कि वक्त थमता नहीं और दुनिया खत्म नहीं हुई और कल भी नए उजाले के साथ सूर्य उदय होगा इसलिए इंसान को हारना नहीं चाहिए, उसे हालात के सामने घुटने नहीं टेकने चाहिए और ना ही परिस्थितियों से घबराना चाहिए, छठ का व्रत हमें ये बताता है कि हर अंत के बाद शुरुआत होती है और अंधेरे के बाद प्रकाश आता है।