सभी लोगों की तमन्ना रहती है कि बेटे-बेटी की शादी पूरे धूमधाम से हो. शादी की तैयारी से लेकर मेहमानों को निमंत्रण में काफी खर्च किए जाते हैं. शादी में मेहमानों को निमंत्रण देने के लिए महंगे-महंगे कार्ड बनाए जाते हैं. लेकिन बिहार के बगहा में एक अनोखा तरीका अपनाया जा रहा है. जहां शादी में आने के लिए महंगे निमंत्रण कार्ड नहीं बल्कि एक-एक पौधा दिया जा रहा है.
शादीआवंला के पौधे दिए जा रहेः दरअसल, यह खबर पश्चिम चंपारण जिले के बगहा की है. जहां एक मां ने बेटी की शादी का निमंत्रण पत्र की जगह पर मेहमानों और रिश्तेदारों को आंवला का पौधा बांट रही हैं. निमंत्रण देने का अनोखे तरीके की पूरे इलाके में खूब चर्चा हो रही है. दुलहन की मां विवाह निमंत्रण पत्र में कार्ड की जगह आवंला के पौधे अपने सगे संबंधियों व अतिथियों को भेज रही हैं
8 दिसंबर को है शादीः खटौरी रामनगर की नव निर्वाचित मुखिया स्मिता चौरसिया का मानना है कि कार्ड में प्लास्टिक व स्याही पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हैं तो वहीं देवी देवताओं के प्रतीक चिह्न का भी दुरुपयोग होता है. लिहाज़ा उन्होंने बिटिया की शादी में तकरीबन 2000 मेहमानों व आंगतुकों को बतौर आमंत्रण पत्र आवंला के पौधे भेज दिए हैं. कहा कि 8 दिसंबर को शादी होनी है. इसकी तैयारी अभी से चल रही है.
चर्चा का विषयः स्मिता चौरसिया की पुत्री कृषि वैज्ञानिक तृप्ति विजय की शादी शुभम कुमार से आगामी 8 दिसंबर को होनी है. समारोह में करीब दो हजार मित्र, शुभचिन्तक, अतिथि व रिश्तेदार शामिल होंगे. मां स्मिता चौरसिया निमंत्रण कार्ड की जगह आवले के पौधे दे रही हैं. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उनकी यह अनूठी पहल इलाके में चर्चा का विषय बन हुआ है.
पर्यावरण बचाने का संदेशः बता दें कि दुल्हन तृप्ति विजय ने विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन से एमएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई की है. इस पहल को लेकर विजय भी काफी खुश दिखाई दे रही हैं. वहीं लड़की की मां स्मिता चौरसिया का कहना है कि लोग कार्ड को कचरे के डब्बे और आग पर फेंक देते हैं. आजकल कई तरह के प्लास्टिक कोटेड कार्ड आ रहे हैं, जो पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह हैं. इसे देखते हुए पर्यावरण को बचाने के लिए यह एक अच्छी पहल है।