पटना। पटना जिला परिषद के अध्यक्ष इंजीनियर कुमारी स्तुति गुप्ता ने एमटेक तक की शिक्षा प्राप्त की है इनके पति चिकित्सक हैं ससुर रिटायर बी डी ओ घर में कई सदस्य इंजीनियर और डॉक्टरों है हाई एजुकेशनल क्वालीफिकेशन और टेक्निकल स्किल होने के बावजूद नोएडा में कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़कर कुमारी स्तुति गुप्ता ने पॉलिटिक्स में एंट्री की है। पटना से सटे संपतचक इलाके से पहली बार जिला परिषद की सदस्य बनी है और पहली ही बार में पटना जिला परिषद की अध्यक्ष भी बन गई हैं।जिला परिषद अध्यक्ष स्तुति गुप्ता ने बताया कि पटना जिले का बेहतर विकास किया जायेगा. सभी निर्वाचित सदस्यों, पदाधिकारियों और सरकारे के प्रतिनिधियों की मदद से ससमय विकास कार्य को पूरा किया जायेगा. पटना जिला परिषद को मिलने वाले फंडों का सभी क्षेत्रों के लिए सामान रूप से वितरित किया जायेगा. अध्यक्ष स्तुति गुप्ता ने आगे कहा कि फंड इलाके के लिए विकास के लिए होता है. इसलिए इसके वितरण में सदस्यों के बीच भेद-भाव नहीं किया जायेगा।स्तुति गुप्ता बिहारशरीफ के बिजली खंदक पर निवासी स्वर्गीय मुन्नी लाल साव की इकलौती पुत्री हैं। 2004 में पूरा परिवार अंबेर में मकान बनाकर रह रहा था। बातचीत के क्रम में उन्होंने ने कहा कि राजनीति में एक सजग जनप्रतिनिधि ही अपने अधिकारों के प्रति मुखर होकर जनता की सेवा कर सकता है। पटना जिला परिषद अध्यक्ष बनने के बाद अपने कार्यकाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें उन्हें किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं आती है वह जिला के पदाधिकारियों के साथ ही साथ राज्य स्तर के पदाधिकारियों मंत्रियों और तमाम प्रशासनिक लोगों से बेधड़क मिलती हैं अपनी बातों को रखती हैं तथा पटना जिला परिषद के लिए जो कुछ भी आवश्यक फंड व सरकारी सहयोग चाहिए वह उन्हें मिलता है। जिला परिषद के अतिक्रमण किए हुए जमीन को खाली करवाने को लेकर भी स्तुति गुप्ता चर्चा में है बांस घाट से सटे इलाके में मुख्य सड़क के उत्तरी सिरे में जिला परिषद के अतिक्रमण की हुई जमीन को खाली कराने की दिशा में पहल की गई है वे कहती हैं कि पटना में बहुत सारी ऐसी जिला परिषद की जमीनें हैं जिस पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है जिसे जल्द से जल्द नियम कानून के तहत खाली करवाया जाएगा तथा उसका व्यवसायिक उपयोग होगा। भविष्य के अपने पोलिटिकल कैरियर को लेकर भी वे काफी आशान्वित है कहती है कि आज मैं जिस मुकाम पर हैं उस में उनके परिवार का बड़ा योगदान है उनके पति जहानाबाद में चिकित्सक हैं तथा कदम कदम पर यह उनका हौसला बढ़ाते हैं। एक पढ़ा-लिखा जनप्रतिनिधि होना कितना आवश्यक है इस सवाल पर स्तुति गुप्ता कहती हैं कि पॉलिटिक्स में यह सब चीजें मायने नहीं रखती जो लोग चुनाव जीतकर आते हैं उनके हाथ में पावर होता है और वे अपने तरीके से पावर का इस्तेमाल करना चाहते हैं। कोई भी जनप्रतिनिधि चाहे वह पंचायत प्रतिनिधि हो जिला परिषद का सदस्य हो या किसी अन्य सदन का सदस्य हो अगर वह पूरी ईमानदारी के साथ 5 वर्षों तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें तो अपने कार्य क्षेत्र में जरूर इतिहास रच सकता है जन समस्याओं का निराकरण कर सकता है बुनियादी समस्याएं स्थाई रूप से समाप्त हो सकती हैं पर हर कोई सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ में लिप्त रहता है दूसरे पर दोषारोपण करता है कुर्सी का मोह उसे आगे बढ़ने नहीं देता पर वे इन सब चीजों से अलग है वह कुछ बेहतर करना चाहती हैं और इस दिशा में कई कारगर प्रयास भी किया गया है आने वाले समय में उसका परिणाम भी नजर आएगा।