अपनी कविताओं के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित करने वाली समकालीन कवित्री में सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर अनामिका जैन अंबर के साथ आज जिस तरह की घटना बिहार के सोनपुर मेले में हुई है उसकी सर्वत्र निंदा हो रही है यह जांच का विषय है कि जब इतनी बड़ी कवित्री को बुलाया गया उस समय क्यों बिहार सरकार को नहीं लगा कि यह भाजपा समर्थित कविता पढ़ती है जब बुला ही लिया लाखों रुपया प्रचार-प्रसार विज्ञापनों पर खर्च कर दिया तो फिर मंच पर जाने से पहले क्यों रोका गया। हालांकि मिल रही सूचना के अनुसार अंबर को रोके जाने की सूचना मिलने के बाद अन्य कवियों ने भी कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया इससे पहले हमने सोनपुर मेले के आयोजन पर कुछ सवाल उठाए थे उसमें सबसे हम सवाल था पद्मिनी कोल्हापुरी का प्रदर्शन 30 साल पहले फिल्म इंडस्ट्री को तोबा कर चुकी पद्मिनी कोल्हापुरी को गायिका के तौर पर बुलाया गया था अब इसका जवाब न सरकार के पास है ना आयोजन की जिम्मेवारी संभाल रही एजेंसी के पास पद्मिनी कोल्हापुरी ने गायकी में कितने बड़े कीर्तिमान स्थापित की है पैसा आम जनता का है तो जवाब भी जनता को ही चाहिए पर मिलाजुला कर जो स्थिति है कि बिहार के इतने बड़े आयोजन की बागडोर सरकार के हाथ में नहीं बल्कि चंद दलालों के हाथों में है जो बिहार की कला संस्कृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं सरकार चाहे किसी की हो पर असली खेला यही लोग करते हैं आप सोनपुर मेला में प्रदर्शन करने वाले कलाकारों की सूची को ही देख लीजिए। एक योग्य और ईमानदार मंत्री होने के बावजूद वही चेहरे मंच पर नजर आए तो पिछले कई सालों से सेटिंग गेटिंग के आधार पर नजर आते रहते हैं चुनाव में नेताओं के लिए गला फाड़ फाड़ कर गाने वाले भोजपुरी के किसी गायक को मौका नहीं मिला अगर बात कल्पना पटवारी की छोड़ दें तो। मूल मुद्दे पर आते हैं अनामिका जैन अंबर का प्रदर्शन नहीं होना सही मायने में बिहार की छवि के साथ खिलवाड़ है जिन लोगों ने जैन को आमंत्रित किया था शायद सरकार के लोगों को पता नहीं था प्रचार-प्रसार भी हो गया आज सुबह से जब मीडिया में खबरें आने लगी कि आज बिहार सरकार को आईना दिखाएंगी अंबर उसके बाद सरकार जागी और प्रशासन ने वही पुरानी माहौल बिगड़ने वाली स्थिति बताकर उन्हें मंच पर जाने से रोक दिया। आज सुबह ही इस बात पर एक वरिष्ठ पत्रकार से चर्चा हो रही थी उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार को नेहा सिंह राठौर को बुलाना चाहिए पर उनकी जगह अनामिका जैन अंबर को बुलाया गया है लगता है कि पुरानी भाजपा के समय वाली एजेंसी ने ही इस बार भी टेंडर ले लिया है देखिएगा शाम तक कुछ बड़ा हंगामा होगा खैर किसी भी बड़े कलाकार को अपने राज्य में बुलाकर प्रचार-प्रसार करके मंच पर जाने से रोकना कहीं ना कहीं अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात है।सरकार किसी दल किसी विचारधारा की हो साहित्यकार कलाकार समाज के आईने के रूप में होते है।