आज का दिन आपको याद है? आज ही के दिन 6 साल पहले 8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी का बड़ा फैसला लिया था। इसके बाद 500 और 1,000 रुपये के नोट इनवैलिड करार दिए गए थे। मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला मुख्य रूप से काले धन पर लगाम लगाने के मकसद से लिया था। यह भी दावा किया गया था कि इससे नक्सलवाद (Naxal) की कमर टूट जाएगी, जो नकदी का इस्तेमाल कर के आतंक फैला रहे हैं। नक्सलियों के चलते बहुत सारे नौजवानों की मौत भी हुई थी, जिसके चलते मोदी सरकार के इस फैसले को देशवासियों का समर्थन भी मिल गया। अब सवाल ये है कि मोदी सरकार के इस सख्त फैसले से कितना फायदा हुआ? फायदा हुआ भी या नुकसान ही हुआ? आइए समझते हैं।नोटबंदी का एक सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि लोगों ने डिजिटल ट्रांजेक्शन (Digital Tranjection) बढ़ा दीं। इसकी एक बड़ी वजह ये थी कि लोगों के पास कैश (Cash) था ही नहीं, क्योंकि वह इनवैलिड हो चुका था। वहीं नई करंसी के लिए बैंकों और एटीएम पर लंबी कतारें लग रही थीं। ऐसे में डिजिटल ट्रांजेक्शन ही लोगों के पास विकल्प बचा था। यानी देखा जाए तो लोगों ने मजबूरी में डिजिटल ट्रांजेक्शन शुरू कर दीं और बाद में करंसी की उपलब्धता के बावजूद डिजिटल ट्रांजेक्शन जारी रखीं। अब 5 साल बाद डिजिटल ट्रांजेक्शन में कितनी बढ़ोतरी हो गई है, इसका अंदाजा तो आपको तमाम दुकानों, ठेलों, मॉल, स्टोर, कैब, ऑटो, रिक्शा और तमाम जगहों पर लगे पेटीएम, गूगल पे, फोन पे, ऐमजॉन पे जैसे बारकोड से ही लगा सकते हैं। यानी आज के वक्त में आप लगभग हर जगह डिजिटल पेमेंट कर सकते हैं।