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25 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है क्रिसमस डे, जानें कारण और महत्व

संवाद

हर साल की तरह इस साल भी क्रिसमस 25 दिसंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार का विशेष महत्व ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के लिए होता है, लेकिन आजकल इस त्योहार का प्रचार-प्रसार इतना अधिक हो गया है कि लगभग सभी धर्मों के लोग इस त्योहार को मनाते हैं। खासतौर पर बच्चों के मन में क्रिसमस के त्योहार के लिए उमंग होती है, क्योंकि वह यह मानते हैं कि क्रिसमस की रात सांता आएंगे और उनकी सभी विशेज पूरी करेंगे।
क्रिसमस का महत्व (Christmas Importance)
क्रिसमस का महत्व ईसाइयों के लिए बहुत अधिक होता है। प्रभु यीशु (Lord Jesus) के जन्म के मौके पर क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। अब से कुछ दशक पहले तक क्रिसमस विदेशी मनाया करते थे लेकिन अब भारतीयों के लिए भी यह त्योहार अन्य त्योहारों से कम नहीं रहा है। यही कारण है कि भारतीय तरीके से पटना से लेकर मुजफ्फरपुर तक और भागलपुर से लेकर दरभंगा तक आज क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है।
क्रिसमस का इतिहास (Christmas History)
प्राचीन कथा के अनुसार ईसाई धर्म की स्थापना करने वाले यीशु का जन्म क्रिसमस के दिन हुआ था। इसलिए पूरी दुनिया में इस दिन को क्रिसमस-डे कहकर सेलेब्रेट किया जाता है। यीशु ने मरीयम के यहां जन्म लिया। बताया जाता है कि मरीयम को एक सपना आया था, जिसमें एक भविष्यवाणी हुई कि उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देना हैं।
थोड़े समय बाद भविष्यवाणी के अनुसार ही मरियम गर्भवती हुईं। गर्भावस्था के दौरान मरियम को बेथलहम जाना पड़ा। रात होने की वजह से उन्होंने वहीं रुकने का सोचा। लेकिन उन्हें वहां रुकने के लिए कोई ठीक जगह नहीं दिखी। थोड़े समय बाद उन्हें एक जगह दिखी, जहां पशुपालन करने वाले लोग रहा करते थे, मरियम ने भी वहीं रुकने का फैसला किया और अगले दिन यहीं पर यीशु को जन्म दिया।

इस त्योहार का प्राचीन इतिहास है। जानकारों की मानें तो क्रिसमस शब्द की उत्पत्ति क्राइस्ट शब्द से हुई है। दुनिया में पहली बार क्रिसमस का खास त्योहार रोम में 336 ई. में मनाया गया था। उसके बाद से पूरी दुनिया में इस त्योहार की प्रसिद्धि बढ़ती गई और आज अन्य धर्म के लोग भी इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं।

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