निधि की मानें तो पैड बनाने की प्रक्रिया करीब एक महीने में पूरी हो जाती है. इसके लिए जलकुंभी को इकट्ठा कर उसे धूप में सुखाते हैं. सूखने के बाद जलकुंभी को पीसा जाता है. फिर पानी मिलाकर एक पेस्ट तैयार होता है. पेस्ट को रेक्टेंगुलर शेप देकर धूप में सुखाया जाता है. फिर रूई के दो लेयर के बीच इसे रखा जाता है और इस तरह तैयार सैनेटरी पैड हो जाता है. ये पैड जितना अनोखा है उतना ही ईको फ्रेंडली भी. चूंकि इसमें किसी तरह के कैमिकल का इस्तेमाल नहीं होता. इसलिए इसे नष्ट होने में ज्यादा समय नहीं लगता है. लिहाजा ये पर्यावरण के लिए भी अच्छा है.
9वीं की छात्रा ने जलकुंभी से बनाए सेनेटरी पैड, जानिए क्यों हैं खास
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ديسمبر 19, 2022