चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8ए के तहत असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की कवायद शुरू करने का फैसला किया है।
चुनाव आयोग की ओर से मंगलवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार नवीनतम गतिविधि केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर राज्य में परिसीमन का संचालन करने का आग्रह करने के बाद शुरू की गयी है।
आयोग ने कहा,“मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्तों अनूप चंद्र पांडे एवं अरुण गोयल के नेतृत्व वाले आयोग ने असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे इस मामले को राज्य सरकार के साथ उठाएं ताकि नई प्रशासनिक इकाइयों के निर्माण पर एक जनवरी से परिसीमन अभ्यास पूरा करने तक पूर्ण प्रतिबंध जारी किया जा सके।”
जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत अनिवार्य है, जनगणना के आंकड़े (2001) का उपयोग संसदीय और विधानसभा सीटों के पुनर्समायोजन के उद्देश्य से किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 के अनुसार प्रदान किया जाएगा।
आयोग संविधानों के परिसीमन के उद्देश्य से अपने स्वयं के दिशानिर्देशों और कार्यप्रणाली को डिजाइन एवं अंतिम रूप देगा। परिसीमन के दौरान, आयोग भौतिक सुविधाओं, प्रशासनिक इकाइयों की मौजूदा सीमाओं, संचार की सुविधा, सार्वजनिक सुविधा और जहां तक व्यावहारिक है, निर्वाचन क्षेत्रों को भौगोलिक दृष्टि से कॉम्पैक्ट क्षेत्रों के रूप में रखा जाएगा।
ईसीआई ने कहा,“आयोग द्वारा असम में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के एक मसौदा प्रस्ताव को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, इसे आम जनता से सुझावों/आपत्तियों को आमंत्रित करते हुए केंद्र और राज्य के राजपत्रों में प्रकाशित किया जाएगा। इस संबंध में, राज्य में आयोजित होने वाली सार्वजनिक बैठकों के लिए तारीख और स्थान निर्दिष्ट करते हुए दो स्थानीय समाचार पत्रों में एक नोटिस भी प्रकाशित किया जाएगा।”
परिसीमन अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत, असम में निर्वाचन क्षेत्रों का अंतिम परिसीमन 1976 में तत्कालीन परिसीमन आयोग द्वारा 1971 जनगणना के आंकड़ों के आधार पर किया गया था।