कंडोम के विज्ञापन में नवरात्रि के मौके पर गरबा करते दिखाने का मकसद किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना नहीं होता. यह तर्क देकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कंडोम बनाने वाली एक फर्म को राहत दे दी और उसके खिलाफ दर्ज केस को खारिज कर दिया.
कोर्ट ने माना कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295-ए, 505 और IT अधिनियम की धारा 67 के तहत कंपनी ने अपराध नहीं किया है.
यह मामला वर्ष 2018 का है. तब नवरात्रि के दौरान महेंद्र त्रिपाठी नाक के व्यवसायी की फार्मा कंपनी ‘मॉर्फस फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड’ ने दो दिनों के लिए मुफ्त कंडोम और प्रेग्नेंसी किट का विज्ञापन बनाया था, जिसे व्हाट्सएप ग्रुप्स और फेसबुक पेज पर दिखाया गया. उस विज्ञापन में गरबा करते पुरुष और महिला की तस्वीर थी और लिखा था- “प्री लवरात्रि वीकेंड ऑफर – कंडोम (3 का पैक)/प्रेग्नेंसी टेस्ट किट.” इस विज्ञापन पर कुछ हिंदूवादियों ने ऐतराज जताया.
धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का केस दर्ज हुआ था
एक शख्स ने थाने में शिकायत कर दी कि यह विज्ञापन हिंदू समुदाय के लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है. जिसके बाद विज्ञापन वाली कंपनी के मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई. कंपनी के मालिक महेंद्र त्रिपाठी का कहना था कि उनके विज्ञापन का मकसद लोगों को यह बताना था कि कंपनी 6 अक्टूबर 2018 से 7 अक्टूबर 2018 तक मुफ्त कंडोम पैक और प्रेग्नेंसी किट दे रही है.
कंपनी के वकील ने भी ऐसी ही बातें कहीं. वकील ने कोर्ट में कहा कि महेंद्र त्रिपाठी फार्मेसी व्यवसाय चलाते हैं, उन्होंने नवरात्रि के दौरान विज्ञापन में गरबा की तस्वीर का इस्तेमाल कस्टमर्स को लुभाने के लिए नेक इरादे से किया था. उनका मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं केा ठेस पहुंचाना नहीं था. न ही उसमें कोई बुरी बात थी.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केस को यूं खारिज कर दिया
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में पहुंचा. कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद कहा, ”उक्त पोस्ट के अलावा रिकॉर्ड में कुछ भी ऐसा नहीं है, जो उनके (कंपनी मालिक) इस तरह के इरादे को इंगित करता हो कि उससे किसी समुदाय की भावनाएं आहत हो जाएं.
इस फैक्ट पर विचार करते हुए कि उस कंपनी का मालिक खुद हिंदू है और इस फैक्ट पर भी कि उसने अपनी पहचान छुपाए बिना एड को अपने मोबाइल नंबर से पोस्ट किया. ऐसा लगता है कि उसका इरादा सिर्फ अपनी कंपनी के प्रोडक्ट को बढ़ावा देना था और वह किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं चाहता था.”