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उम्र 16 साल, हार्ट अटैक से मौत.अब कोई और देखेगा वृंदा की आंखों से खूबसूरत दुनिया

संवाद 

मध्य प्रदेश के इंदौर में ठंड के प्रकोप के बीच 16 साल की एक छात्रा की स्कूल में दिल का दौरा मौत हो गई. बेटी की मौत से दुख में डूबे परिजनों ने इंसानियत की नज़ीर पेश की है.

उन्होंने अरनी बेटी की आंखें दान कर दी हैं. अब उनकी बेटी की आंखों से कोई और भी दुनिया देख सकेगा. यह जानकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को दी.स्थानीय निवासी राघवेंद्र त्रिपाठी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि उनकी 16 साल की भांजी वृंदा त्रिपाठी ऊषा नगर के छत्रपति शिवाजी स्कूल में 25 जनवरी को चलते-चलते अचानक चक्कर खाकर गिर गई थी.

उन्होंने बताया कि स्कूल में जब उनकी भांजी बेहोश हुई तो उसे होश में लाने के लिए उसके चेहरे पर पानी छिड़का गया,लेकिन उसे होश नहीं आया.जिसके बाद उसे आनन-फानन में नजदीकी अस्पताल ले जाया गया. 

डॉक्टर्स के मुताबिक अस्पताल लाने से पहले ही उसकी सांसें थम चुकी थीं. त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर्स ने सीपीआर और अन्य उपाय किए, लेकिन वृंदा होश में नहीं आ सकी और उसे मृत घोषित कर दिया गया.

हार्ट अटैक से 16 साल की लड़की की मौत

उन्होंने बताया कि दिल के दौरे से पहले वृंदा पूरी तरह स्वस्थ थी. डॉक्टर्स का कहना है कि हो सकता है कि शीतलहर के कारण उसे अचानक दिल का दौरा पड़ा. त्रिपाठी का कहना है कि वृंदा जीवन की ऊर्जा से भरपूर लड़की थी.हार्ट अटैक के समय वह स्कूल में गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम की तैयारी कर रही थी. 

इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन से जुड़े सामाजिक संगठन ‘मुस्कान ग्रुप’ के स्वयंसेवक जीतू बगानी ने बताया कि वृंदा के निधन के बाद उसके परिजनों की सहमति से उसकी आंखें दान की गईं.

वृंदा के मामा राघवेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि हम तो वृंदा को खो चुके हैं, हमने उसकी आंखें दान करने का फैसला किया, ताकि कोई और व्यक्ति यह खूबसूरत दुनिया उसकी आंखों से देख सके.

अधिकारियों ने बताया कि वृंदा के शव का गुरुवार को जिला चिकित्सालय में पोस्टमॉर्टम किया गया था. अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि 16 साल की छात्रा की ठोड़ी पर चोट का निशान मिला है, लगता है कि यह चोट उसके बेसुध होकर जमीन पर गिरने से आई होगी. उन्होंने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक कहा कि छात्रा की मौत हार्ट अटैक से हुई.

वृंदा की आंखों से कोई और देखेगा दुनिया

अधिकारी ने कहा कि दिल के दौरे के वक्त छात्रा ने पतला ट्रैक सूट पहन रखा था. पोस्टमॉर्टम के वक्त उसके पेट में केवल थोड़े से सेंव-परमल (लाई) मिले. हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल भराणी ने कहा कि बहुत ठंड के हालात से लड़ने के दौरान खासकर तड़के चार बजे से सुबह 10 बजे तक मनुष्यों के शरीर में अलग-अलग हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है और खून का थक्का बनने के कारण दिल के दौरे से अचानक मौत की आशंका अपेक्षाकृत ज्यादा रहती है.
उन्होंने कहा कि ठंड के मौसम के दौरान लोगों को पौष्टिक खाने और शारीरिक कसरत का खास ध्यान रखना चाहिए.

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