उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव टलने को लेकर राजनीतिक हलकों में छायी मायूसी जल्द दूर हो सकती है. ये गुड न्यूज बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों के बाद आई है. यूपी बोर्ड परीक्षाएं 16 फरवरी से शुरू होंगी. हाईस्कूल की परीक्षाएं 3 मार्च और इंटरमीडिएट की 4 मार्च को खत्म होंगी. ऐसे में अगर ओबीसी आरक्षण पर बना आयोग अपने बयान के अनुसार तीन माह में रिपोर्ट दे देता है तो अप्रैल में चुनाव की संभावना बन सकती है. ओबीसी आयोग ने मार्च के अंत तक रिपोर्ट देने की बात कही है. उसकी सिफारिशों के बाद नगर विकास विभाग दोबारा नगर निगम, नगर पालिका औऱ नगर पंचायत चुनाव की सीटों के लिए अनंतिम आरक्षण की सूची जारी कर सकता है. इसके बाद आपत्तियों का निस्तारण करके अप्रैल मध्य तक चुनाव कराए जा सकते हैं.
ओबीसी आरक्षण के लिए गठित पांच सदस्यीय आयोग चोब सिंह वर्मा की अध्यक्षता में बना है. इस आय़ोग ने लखनऊ में पहली बार आंतरिक बैठक की थी. इसके बाद गाजियाबाद में मेरठ मंडल की बैठक शनिवार को आय़ोजित की गई थी. इस बैठक में जिलावार अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़ों को इकट्ठा करने, 1997 के बाद से हुए स्थानीय निकाय चुनाव में कितने ओबीसी चुनाव जीते, कितने ओबीसी उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे, इसकी जानकारी हर जिले से मांगी गई है.मेरठ मंडल के 6 जिलों मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, हापुड़ के जिलाधिकारी 7 जनवरी को इस बैठक में शामिल हुए थे. ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले पर काम करते हुए पिछड़ा आयोग अपनी रिपोर्ट शासन को देगा. हालांकि ओबीसी आरक्षण कि सिफारिशों के साथ आयोग को यह ध्यान रखना है कि कुल आरक्षण एससी-एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 50 फीसदी की सीमा से से ज्यादा न हों.
आयोग अन्य पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक प्रतिनिधित्व का आकलन करेगा. जिस जिले में जितने ओबीसी होंगे, वहां उनकी राजनीतिक नुमाइंदगी को देखते हुए जिलावार आरक्षण की सिफारिश की जाएगी. उन सिफारिशों के आधार पर सरकार दोबारा अनंतिम आरक्षण जारी करेगी और उन पर एक हफ्ते में आपत्तियां मांगेगी. इसके बाद चुनाव का रास्ता साफ हो गया.