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विरासत की सियासत को थामने आ रही है ख्याति सिंह

अनूप नारायण सिंह 

सारण में औद्योगिक क्रांति की संभावना सिर्फ कागजों पर है पर लोगों को रोजगार देने के लिए जमीनी स्तर पर छोटे-मोटे उद्योग धंधे में स्थापित किए जा सकते हैं।कोविड काल में तरैया मसरख बनियापुर गोरियाकोठी महाराजगंज एकमा मांझी विधानसभा क्षेत्र के हजारों लोगों के लिए राशन एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने वाली फिल्म अभिनेत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय मतंग सिंह की धर्मपत्नी ख्याति सिंह पूरी तैयारी के साथ अब सारण के विकास के लिए कृत संकल्पित होकर आ रही है। एक विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि आप चुनाव लड़कर ही लोगों से अपनी सेवा करें बिना चुनाव लड़े भी लोगों की सेवा की जा सकती है पति स्वर्गीय मतंग सिंह चाहते थे कि वह महाराजगंज एवं तरैया विधानसभा क्षेत्र अपना कर्म क्षेत्र बनाएं। पिछले साल उनके निधन होने के बाद उनके सपने को पूरा करने के लिए पूरी तैयारी के साथ में क्षेत्र में आ रही है औद्योगिक क्रांति लघु एवं कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लोगों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना इलाके के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाना उनका मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्र पिछड़े हुए हैं जो विकास होना चाहिए वह हुआ नहीं इस इलाके की मुख्य आर्थिक व्यवस्था गन्ने की फसल पर टिकी हुई थी पर चीनी मिलों के बंद हो जाने के बाद किसान बदहाल हो गए उनके लिए कोई व्यवस्था ना सरकार की तरफ से हुई ना स्थानीय स्तर पर किसी भी राजनेता ने कि जो लोग आए सपने दिखाए और सपने के बदले में वोट लेकर चलते बने यह भी सत्य है कि बिहार में अभी तक केवल औद्योगिक क्रांति की बात हुई है सरकार कुछ करना ही नहीं चाहती और जो लोग हैं वह सपने दिखाकर लोगों को ठगना चाहते हैं वह भी अपना ही जेब गर्म करने आए है वह भी जमीनी हकीकत को जानते हैं कि यहां कोई भी बड़ा उद्योग नहीं लग सकता। वह इलाके में अपने दम पर कई सारे लघु और कुटीर उद्योगों की स्थापना करने जा रही है जिसके माध्यम से महिलाओं को काम मिल पाएगा उनका पहला लक्ष्य हर हाथ को काम देना है । उनका परिवार सदैव लोगों की सेवा करता रहा है उनके पति स्वर्गीय मतंग सिंह की जन्मभूमि तरैया ही है इसलिए उसका कर्ज उतारने आई है। ख्याति सिंह ने कहा कि वह साइलेंट तरीके से लोगों की मदद करना चाहती हैं यही कारण था कि तमाम दबाव के बावजूद वह न विधानसभा का चुनाव लड़ी और ना ही विधान परिषद का जबकि एक बड़े राजनीतिक दल ने दोनों चुनाव में उन्हें टिकट देने का अंतिम समय तक प्रयास किया। मडावरा चीनी मिल के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत जो भी जानकारियां एकत्र की गई है। मरहौरा में चीनी मिल पुनर्जीवित नहीं हो सकता उसके बदले उसी जमीन पर कोई दूसरी इकाई लग सकती है जिसकी फिलहाल दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। चीनी मिल की सैकड़ों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है जिसको लेकर उन्होंने सरकार और संबंधित विभाग को पत्र भी लिखा है।

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