अनूप नारायण सिंह
बिहार की मौजूदा महा गठबंधन सरकार में राजद कोटे से अब कोई भी सवर्ण मौजूदा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं है। कभी भूरा बाल (भूमिहार राजपूत ब्राह्मण और लाला) की खिलाफत कर एमवाई (मुस्लिम यादव) समीकरण के बल पर बिहार की सत्ता पर काबिज होने वाली राजद ने खुद को ए टू जेड की पार्टी होने का खूब दंभ भरा। पर सत्ता में वापसी होते ही अपने पुराने ढर्रे पर लौट गई है। मौजूदा सरकार में भूमिहार कोटे से अनंत सिंह के करीबी एमएलसी कार्तिक सिंह को पहले कानून मंत्री फिर गन्ना विभाग का मंत्री बनाया गया अपराधिक मामले के चलते उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा दूसरी तरफ राजपूत जाति से आने वाले सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया सुधाकर सिंह लगातार अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठा रहे थे उन्होंने अपना इस्तीफा अपने दल के नेता तेजस्वी यादव को भेजा था उनके पिता जगदानंद सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष है इन दोनों को भरोसा था कि तेजस्वी सुधाकर सिंह द्वारा उठाए गए सवालों को लेकर नीतीश कुमार पर दबाव बनाएंगे पर उल्टे तेजस्वी ने सुधाकर सिंह का इस्तीफा नीतीश कुमार को भेजा और नीतीश कुमार ने सीधे उसे राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेज दिया ऐसे में सुधाकर सिंह की राज्य मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई। राजद कोटे से किसी ब्राह्मण या कायस्थ को मंत्री नहीं बनाया गया था अब कार्तिक सिंह और सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद राजद के मंत्रियों की लिस्ट सवर्ण विहिन हो गई है। बिहार में मौजूदा समय में 2 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने जा रहा है यह विधानसभा क्षेत्र है मोकामा और गोपालगंज मोकामा भूमिहार बहुल क्षेत्र है जबकि गोपालगंज राजपूत बहुल ।मोकामा सीट राजद के ही विधायक अनंत सिंह के एक आपराधिक मामले में दोषी होने के बाद खाली हुई है जबकि गोपालगंज सीट भाजपा के सुभाष सिंह के निधन के कारण। अब राजद को लेकर राजद की फोटो में ही दुविधा है जो अपर कास्ट के वोटर है वह राजद का असली गेम प्लान समझने लगे हैं कि किस तरह से ए टू जेड की पार्टी होने का दावा करने वाली राजद ऊंची जातियों को दरकिनार करने में लगी है हालांकि राजद से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है फिर राज्य मंत्रिमंडल में किसी राजपूत भूमिहार का मंत्री नहीं होना एक बड़ा सवाल उठाता है सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद कई राजपूत चेहरे हैं जो राज्य मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं इसमें सबसे ज्यादा चर्चा में नाम है राजद एमएलसी सुनील कुमार सिंह का। सुनील कुमार सिंह लालू परिवार के सबसे विश्वसनीय लोगों में शामिल है। ब्राह्मण कोटे से राजद थिंक टैंक में शामिल शिवानंद तिवारी के विधायक पुत्र राहुल तिवारी तथा सिवान के बड़हरिया से विधायक बच्चा जी पांडे मंत्री पद के प्रबल दावेदार है भूमिहार कोटे से राजद का कोई विधायक नहीं है ऐसे में चुनाव जीत कर आए दो एमएलसीयो की किस्मत का ताला खुल सकता है हालांकि चर्चा यह है कि अगर मोकामा से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी चुनाव जीतती हैं तो उन्हें भूमिहार कोटे से मंत्री बनाया जाएगा। राजद से कोई कायस्थ विधायक एमएलसी नहीं है फिर भी दो-चार करीबी लोग हैं जिन पर तेजस्वी की नजर है। जिनमें विनोद श्रीवास्तव का नाम काफी चर्चा में है। नीतीश कुमार की अगुवाई में बनी महा गठबंधन सरकार में राजद कोटे की सभी मलाईदार विभाग तेजस्वी यादव ने खुद अपने पास रखा है। खबर है कि लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर राजद फिर से मुस्लिम यादव समीकरण के तरफ तेजी से बढ़ रही है। राजद को बिहार के अपर कास्ट के वोटरों पर भरोसा नहीं है।बिहार के सत्ता में वापसी के बावजूद जो प्रतिनिधित्व अपर कास्ट को मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है। बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है खबर है कि जगदानंद सिंह भी राजद के इस नई कार्यशैली से खुश नहीं है हालांकि डैमेज कंट्रोल के लिए कई बड़े नेताओं को लगाया गया है राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव मिशन तेजस्वी की राह में आने वाले किसी भी व्यक्ति को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। राजद के तमाम नेताओं और प्रवक्ताओं को तेजस्वी के सीएम बनने संबंधी बयान देने पर रोक लगा दी गई है। राजपूत और भूमिहार कोटे की खाली हुई मंत्री पद पर नए चेहरों की तैनाती नहीं होने से संशय की स्थिति बनी हुई है। मीडिया सूत्रों के अनुसार पार्टी से नाराज चल रहे जगदानंद सिंह ने भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने का मूड बना लिया है। जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन के मामले पर भी राजद की चुप्पी गलत संदेश दे रही है उत्तर बिहार में राजद का सबसे बड़ा चेहरा प्रभुनाथ सिंह का है। उनके भाई केदारनाथ सिंह लगातार तीसरी बार बनियापुर से विधायक हैं। उनको भी मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर प्रभुनाथ समर्थक निराश है राजपूत जाति से हीं आने वाले चेतन आनंद रामा सिंह की पत्नी रणविजय सिंह समेत कई ऐसे चेहरे हैं जो राजद कोटे से मंत्री बनने की दौड़ में हैं। पर सूत्र बताते हैं कि अगर राजपूत कोटे से मौजूदा मंत्रिमंडल में कोई नई इंट्री होगी तो वह नाम राजद के एमएलसी सुनील कुमार सिंह का हो सकता है जो कृषि और सहकारिता मामले के जानकार हैं तथा राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के सर्वाधिक विश्वस्त लोगों में शामिल है। राजद के लिए अपना सबकुछ समर्पित करने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह महाराजगंज के सांसद रहे उमाशंकर सिंह विजय कृष्ण जैसे समर्पित राजपूत नेताओं के साथ जो कुछ हुआ उसे भी भुलाया नहीं जा सकता मौजूदा समय में राजद की राजनीति में भले प्रभुनाथ सिंह आनंद मोहन का परिवार राजद के प्रति समर्पित हो पर राजद के अंदर इन दोनों को लेकर भी संशय की स्थिति है। महागठबंधन की सरकार बन जाने के बाद अब कोई आनंद मोहन की रिहाई को लेकर कोई सवाल नहीं उठा रहा है। राजद के अंदर राजपूत राजनीति एमएलसी सुनील कुमार सिंह के इर्द-गिर्द घूम रही है सुनील कुमार सिंह ने कई राजपूत चेहरों को पार्टी में शामिल कराया और विधानसभा के चुनाव में टिकट भी दिलवाया जिसमें अधिकांश ने सफलता भी पाई। अब जबकि सुनील कुमार सिंह को ही मंत्री बनाए जाने में विलंब हो रहा है ऐसे में उनके स्वजातीय वोटरों में भी राजद को लेकर संशय की स्थिति कायम हो गई है। राजद में ब्राह्मणों के कई बड़े नेता हैं पर उन्हें भी उचित मान सम्मान नहीं मिल पाया है हाल ही में संपन्न पंचायत स्तरीय विधान परिषद चुनाव में राजपूत और यादव बहुल सारण से इकलौते ब्राह्मण चेहरे सुधांशु रंजन को टिकट दिया गया था पर पार्टी के एमवाई वाले समीकरण ने सुधांशु रंजन के खिलाफ ही भीतर घात कर दिया बावजूद इसके सुधांशु रंजन ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। छपरा जिला का माझी विधानसभा ब्राह्मण बहुल है अब ब्राह्मण मतदाता सुधांशु रंजन को माझी की दावेदारी पर मुहर चाहते हैं। सिवान वाले टुना पांडे लोकसभा टिकट का ख्वाब देख रहे हैं पर उनके राह में निवर्तमान जदयू सांसद कविता सिंह और शहाबुद्दीन की पत्नी हिना साहब बड़ा रोड़ा है। हालांकि महाराजगंज में अपने ही दल का सांसद होते हुए राजद ने प्रभुनाथ सिंह जैसे कद्दावर नेता पर दांव लगाने का भी साहस दिखाया था।