देश भर में आज मकर संक्रांति मनाई जा रही है. ये त्योहार हर साल पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. हिन्दू धर्म में इसका खास महत्व है. आज के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं. इसलिए ही इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. बहुत सी जगहों पर इसे 'खिचड़ी' और 'उत्तरायण' भी कहते हैं. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास का समापन हो जाता है. इसके बाद शुभ और मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू हो जाते हैं।
मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti)-
रात के 8 बजकर 14 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. मकर संक्रांति के त्यौहार के अवसर पर सूर्य को अर्ध देना काफी शुभ होता है. बता दें कि इस त्यौहार का शुभ मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर शाम के 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 12:30:00 तक है. वहीं इस दिन महापुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 09:15:13 तक है. इन मुहूर्तों में दान-पुण्य और पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है.
मकर संक्रांति पूजा विधि (Makar Sankranti 2023 Puja vidhi)-
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है. हालांकि कोरोना से बचाव के लिए सारे धार्मिक कार्य घर पर ही रह करना उचित रहेगा. आप जल में गंगाजल, काले तिल, हल्का गुड़ और मिलाकर स्नान करें. नहाने के बाद साफ कपड़े पहन लें और तांबे के लोटे में पानी भर लें. इस पानी में काले तिल, गुड़, गंगाजल, लाल पुष्प और अक्षत डालकर सूर्य देव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें. सूर्य देव की पूजा के बाद शनि देव को काले तिल अर्पित करें.
मकर संक्रांति पर इन चीजों का दान शुभ (Makar Sankranti daan 2022)-
मकर संक्रांति पर हर साल लाखों श्रद्धालुओं का मेला पवित्र नदियों के घाट पर लगता है. हालांकि इस बार कोरोना की वजह से लोग भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बच रहे हैं. मकर संक्रांति को तिल संक्रांति भी कहा जाता है. इस दिन काले तिल और तिल से बनी चीजों को दान करने से पुण्य लाभ मिलता है. कहा जाता है कि काले तिल के दान से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा इस दिन नए अन्न, कम्बल, घी, वस्त्र, चावल, दाल, सब्जी, नमक और खिचड़ी का दान करना सर्वोत्तम होता है. आज के दिन तेल का दान करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
मकर संक्रांति की पौराणिक मान्यता-
मकर संक्रांति मनाने की कई तरह की पौराणिक मान्यताएं मानी जाती हैं. मान्यताओं के अनुसार आज के दिन सूर्य देव पिता अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं. चूंकि मकर राशि शनि का घर है इसलिए भी इसे मकर संक्रांति कहते हैं. एक अन्य मान्यता के अनुसार महाभारत के समय भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण होने पर ही अपने शरीर का त्याग किया था. इसी दिन उनका श्राद्ध कर्म तर्पण किया गया था.
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए वर्षों की तपस्या करके गंगा जी को पृथ्वी पर आने को मजबूर कर दिया था. इसी दिन गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर अवतरित हुईं थीं. मकर संक्रांति पर ही महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था. उनके पीछे चलते-चलते गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में समा गईं थीं.