नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के ममता बनर्जी को लेकर दिए गए बयान पर बीजेपी लगातार निशाना साध रही है. इस कड़ी में पश्चिम में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि जब 2021 के चुनाव के बाद बंगाल में हिंदुओं की हत्या हुई थी, तब अमर्त्य सेन कहां थे.
अमर्त्य सेन में पक्षपात है और उन्हें ऐसा नहीं बोलना चाहिए. उन्हें विदेश में ही रहने दें और अगर उन्हें सलाह देनी है तो वह अफगानिस्तान में जाकर तालिबान को सलाह दें.
दरअसल, अमर्त्य सेन ने हाल ही में कहा था कि ममता बनर्जी में भारत का अगला प्रधानमंत्री बनने की क्षमता है. उन्होंने बीजेपी पर भी जमकर निशाना साधा और कहा कि ये सोचना गलत है कि 2024 का लोकसभा चुनाव पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में होगा. बल्कि आगामी आम चुनाव में कई क्षेत्रीय दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.
बीजेपी ने भारत की दृष्टि को काफी हद तक कम कर दिया है. अपने बयान के बाद से अर्थशास्त्री बीजेपी के निशाने पर आए गए हैं.
बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी ने कहा कौन हैं अमर्त्य सेन? कोविड 19 के दौरान वह कहां थे. कोविड के दौरान उन्होंने एक भी व्यक्ति की मदद नहीं की. पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान वह कहां थे.
चुनाव के बाद की हिंसा में बीजेपी के 57 कार्यकर्ता मारे गए. वह कहां था? मुझे खुशी है कि इन अमर्त्य सेन ने एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता के रूप में कहा है कि नरेंद्र मोदी पीएम नहीं बन सकते. लेकिन वह खुद को गलत साबित करते हैं.
उन्होंने कहा कि अमर्त्य सेन ने जब कहा कि ममता पीएम बन सकती हैं, तो मैं कह सकता हूं कि उनकी भविष्यवाणी पूरी नहीं होगी और मुझे इस पर यकीन है. 2024 के चुनाव में मोदीजी और अधिक सीटें हासिल करेंगे. और मुझे इस पर यकीन है. उनका हिडन एजेंडा है. भारत में उनकी सलाह की जरूरत नहीं है. वह विदेश में रह सकते हैं और अपने विचार दूसरे देशों को दे सकते हैं.
2024 में कांग्रेस की क्षमता पर संदेह व्यक्त किया था
बता दें कि अमर्त्य सेन ने 2024 के चुनाव जीतने की कांग्रेस की क्षमता के बारे में संदेह व्यक्त किया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस "कमजोर" हो गई है. हालांकि उन्होंने कहा कि देश को अखिल भारतीय दृष्टि प्रदान करने वाली एकमात्र पार्टी कांग्रेस है.
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि कोई कांग्रेस पर कितना भरोसा कर सकता है. क्योंकि कांग्रेस पहले की अपेक्षा बहुत कमजोर हुई है. दूसरी ओर कांग्रेस निश्चित रूप से एक अखिल भारतीय दृष्टि प्रदान करती है, जिसे कोई अन्य पार्टी नहीं कर सकती.