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बॉलीवुड में बनाई इस बिहारीलाल ने पहचान फिर बड़े मुकाम की ओर राजेंद्र कर्ण

अनूप नारायण सिंह 
छपरा जगदम कालेज में से बी एस सी करने के पश्चात भोजपुरी फ़िल्म के महा विलेन श्री विजय खरे ने कर्ण को अपने सानिध्य में एक्टिंग की बारीकियों से अवगत कराया।ये समय 80 का दशक था।फिर विजय खरे जी ने एक फ़िल्म का निर्माण किया "जुग जुग जियो मोरे लाल" जिसमे कर्ण को पहला ब्रेक मिला।1989 कि ये फ़िल्म जिसके निर्देशक जे पी श्रीवास्तव जी थे।इस फ़िल्म में विजय खरे जी ने नामचीन हस्तियों को चांस दिया,राजू श्रीवास्तव उनमें से एक थे। फिर किरण कांत वर्मा जी की फ़िल्म कुणाल सिंह,जय तिलक जी के साथ फ़िल्म हक़ के लड़ाई में काम किया।बिहार सरकार की प्रौढ़ शिक्षा पर बनी 30 मिनट की फ़िल्म गृहलक्ष्मी जिसके लेखक अभिनेता डॉ प्रफ्फुल सिंह मौन,निर्माता मुन्ना यादव,निर्देशक सुधीर कुमार थे,में बतौर हीरो राजेन्द्र कर्ण ने काम किया इनके कार्य को सराहा गया।एजुकेशनल टीवी पटना बिहार के प्रोड्यूसर क़ासिम खुर्सीद जी फ़िल्म 'शक' में काम किया।अजय ओझा के निर्देशन में बनी टेलीफिल्म "पश्चाताप' में विलेन के रोल में किया।

फिर बॉलीवुड का रुख इन्होंने किया ओमपुरी जी,मोहन जोशी जी व नामचीन कलाकारों के साथ राजेन्द्र कर्ण ने एक्टिंग की।कुछ फिल्में रिलीज होने वाली है राइफल गंज,आश्रमकाण्ड,धमाल पे धमाल,पिरितिया काहे तू लगवलू,अभी ब्लॉकबस्टर छत्तीसगढ़ी फ़िल्म "मोर मया ला राखे रहिबे "में शशक्त भूमिका निभाई,इस फ़िल्म के निर्देशक अविनाश पांडेय,निर्माता व हीरो बॉबी खान हैं 50 दिन तक सिनेमा हाल में चली।3 सप्ताह हाउस फूल थी।
ज्ञात हो कि अंधरा ठाढ़ी मधुबनी जिला कर्ण का पैतृक गांव है।भोजपुरी की तरह मैथिली से भी बहुत प्रेम है।बहुचर्चित मैथिली फ़िल्म 'प्रेमक बसात' जिसके निर्माता वेदांत झा ,निर्देशक रूपक शरर थे में भी रोल अदा किए।

राजेन्द्र कर्ण स्ट्रगल के बारे में बताते हैं।कि मिट्टी में दबे हुए 5 ग्राम का हीरा निकालने के लिए 10 टन मिट्टी खोदना पड़ता है।जुनून,मेहनत,अपने उसूल के साथ जिसने स्ट्रगल किया,वो सफल होगा।
आप बहुत मृदुभाषी व सहयोगी किस्म के इंसान हैं।आप कहते हैं-रौशनी गर खुदा को हो मंजूर तो आंधियों में चिराग जलते हैं।

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