दरभंगा। मुख्यमंत्री की समाधान यात्रा पर सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर लगातार कटाक्ष कर रहे हैं। आज उन्होंने कहा कि मिथिला में बंद उद्योग धंधा को चालू कर बेरोजगारी और पलायन की समाधान कब करेंगे मुख्यमंत्री? उन्होंने मुख्यमंत्री को दशकों से बंद पड़े सकरी चीनी मिल, रैयाम चीनी मिल, लोहट चीनी मिल, अशोक पेपर मिल, पंडौल स्थित सूता फैक्ट्री सहित अन्य छोटे-बड़े उद्योगों का निरीक्षण करने का सलाह दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में हुए एनडीए शासनकाल में विकास कार्यों का श्रेय नीतीश कुमार खुद लेते है, तो मिथिला में बंद पड़े उद्योग का भी श्रेय इन्ही को लेना चाहिए।
ये अपने कार्यकाल में एक भी नया उद्योग मिथिला में स्थापित तो नहीं कर सके। वहीं अपने राजनीतिक फायदे के लिए वह पुराने उद्योग को भी चालू नहीं करवाए। वह मिथिला में मौजूद सभी संपदा का दोहन कर सबको जीर्णशीर्ण अवस्था में छोड़ दिए। सांसद ने मिथिला की प्रमुख फसल मखाना का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मिथिला के कृषकों के हित को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र का स्थापना किया गया था। 2005 में इनके वर्तमान सरकार द्वारा इसका राष्ट्रीय दर्जा समाप्त कर इसे परित्यक्त अवस्था में छोड़ दिया दिया।
क्या बिहार सरकार द्वारा इसको पुन: राष्ट्रीय दर्जा देने एवं इसके उत्थान के लिए कोई उपाय किया गया। उन्होंने कहा कि मिथिला के साथ इनका सौतेला व्यवहार सर्व विदित है। भाजपा सांसद ने कहा कि मिथिला में दर्जनों ऐतिहासिक धरोहर एवं धार्मिक स्थल मौजूद है, जिसका विकास एवं जीर्णोद्धार करके पर्यटन के क्षेत्र में एक बड़ा रोजगार का अवसर मिथिला में पैदा किया जा सकता था। दुर्भाग्यवश दरभंगा का ऐतिहासिक राज किला, शहर के मध्य अवस्थित तीनों मुख्य तालाब दिग्घी, गंगासागर और हराही, जगत जननी मां सीता की प्राकट्य स्थली पुनौरा धाम, राजनगर स्थित ऐतिहासिक किला, श्यामा माई मंदिर परिसर, उच्चैठ भगवती, उगना महादेव, कुशेश्वर स्थान महादेव, कपलेश्वर स्थान, अहल्यास्थान, महाकवि विद्यापति की जन्मस्थली बिस्फी सहित सैकड़ों पौराणिक और ऐतिहासिक स्थल आज भी जीर्णोद्धार का राह देख रहा है, परंतु मुख्यमंत्री को जनता से जुड़ी इन सब चीजों से कोई सरोकार नहीं है। इसी क्रम में सांसद ने बिहार से लोगों के पलायन का मामला भी उठाया।