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101 साल बाद आ रहा शिवरात्रि का विशेष योग, शिव-सिद्धियोग में होगा पूजन

संवाद 

महाशिवरात्रि पर इस साल कई खास योग
महाशिवरात्रि पर इस साल कई खास योग 
शिव और शक्ति के मिलन के पर्व महाशिवरात्रि पर इस साल कई खास योग बन रहे हैं। 18 फरवरी को पड़ रही महाशिवरात्रि के दिन शिवयोग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग आने से पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ गई है। ऐसे में महाशिवरात्रि पर्व की पूजा विधि-विधान के साथ करने से विशेष कल्याणकारी मानी जा रही है।
महाशिवरात्रि देवों के देव महादेव शिव-शंभू, भोलेनाथ शंकर की आराधना, उपासना का त्योहार है। महाशिवरात्रि पर्व फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी को मनाया जाता है। 18  फरवरी को त्रयोदशी और चतुर्दशी मिल रही हैं।
वहीं महाशिवरात्रि का पर्व शिव योग, सिद्धि योग के दुर्लभ संयोग के साथ आने से और भी अधिक प्रभावकारी बताया जा रहा है। पुराणों में वर्णन है कि भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था।
महाशिवरात्रि की रात बहुत विशेष
भगवान शिव के विवाह में सिर्फ देव ही नहीं दानव, किन्नर, गंधर्व, भूत, पिशाच भी शामिल हुए थे। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग को गंगाजल, दूध, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण से स्नान करवाया जाता है।

फिर चंदन लगाकर फल-फूल, बेलपत्र, धतूरा, बेर इत्यादि अर्पित किए जाते हैं। रात की प्रथम प्रहर की पूजा 7.26 मिनट से शुरू होगी। निशिता काल की पूजा का समय रात 12. 59 मिनट से 1.47 मिनट तक रहेगी।

वैज्ञानिक दृष्टि से महाशिवरात्रि की रात बहुत विशेष होती है। दरअसल इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस तरह अवस्थित होता है कि इंसान के अंदर की ऊर्जा प्राकृतिक तौर पर ऊपर की तरफ बढ़ने लगती है।

यानी प्रकृति खुद ही मानव को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में सहायता करती है। इसका पूरा फायदा लोगों को तभी प्राप्त हो सकता है, जब महाशिवरात्रि की रात में जागरण किया जाए। 
 

उन्होंने बताया कि भगवान शिव और शक्ति का विवाह भी महाशिवरात्रि को हुआ था। अब 101 साल बाद महाशिवरात्रि पर विशेष योग बन रहा है।

18 फरवरी को महाशिवरात्रि को व्रत और पूजन किया जाना सर्वोत्तम है। शिवलिंग का पंचोपचार पूजन और रात्रि जागरण विशेष फलदायी होता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना कई गुना अधिक फल देती है। ओम नमः शिवाय

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