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शिलान्यास के 16 साल बाद भी नहीं शुरू हुआ औरंगाबाद- बिहटा रेललाइन का काम

संवाद 
औरंगाबाद-बिहटा नई रेल लाइन 2800 करोड़ की योजना है, लेकिन पिछले साल बजट में 50 करोड़ और इसबार 20 करोड़ मिला। लिहाजा इस टोकन मनी से परियोजना का काम अटका हुआ है। हालांकि पिछले साल अप्रैल में हीं इस रेललाइन परियोजना का काम धरातल पर उतारने का दावा किया गया था। लेकिन, फिर अप्रैल आने वाला है पर कहीं इस परियोजना का नामोनिशान नहीं दिख रहा है। ऐसे में इस रेल लाइन के लिए आंदोलन की सुगबुगाहट तेज होने लगी है। बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन संघर्ष समिति का मनोबल बढ़ा है।

सूत्रों की मानें तो फिलहाल समिति की ओर से प्रधानमंत्री और रेलमंत्री को पत्र लिखा गया है। इसके बाद जल्द ही आंदोलन की नए सिरे से रणनीति तय होगी। औरंगाबाद सांसद सुशील सिंह ने कहा कि रेल मंत्री को पत्र लिखें हैं। इस मुद्दे पर सदन में आवाज उठाया है। उम्मीद है परियाेजना का काम आगे बढेगा। इधर पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा कि यूपीए की सरकार होती तो इस रेल रेललाइन परियाेजना पर गाड़ियां दौड़ जाती।

2007 में पालीगंज में लालू प्रसाद ने किया था शिलान्यास
वर्ष 2007 में पालीगंज खेल मैदान पर तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने बिहटा-औरंगाबाद नई रेल लाइन की आधारशिला रखी थी। हर बजट में इस परियोजना को महज जिंदा रखने के लिए टोकन मनी मिलती है। काम शुरु होने पर पहले चरण में बिहटा से पालीगंज तथा दूसरे चरण में पालीगंज से औरंगाबाद के बीच निर्माण कराया जाएगा। बिहटा और पालीगंज के बीच सात और पालीगंज से औरंगाबाद के बीच 11 स्टेशन बनाए जाएंगे। वर्ष 1980 में आरा से सांसद रहे चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने बिहटा स्टेशन से अनुग्रह नारायण रोड तक नई रेल लाइन का मुद्दा उठाया था।

वर्ष 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने अरवल में एक कार्यक्रम के दौरान बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन का निर्माण कराने की घोषणा की थी। अंतत: 16 अक्टूबर 2007 को तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने पालीगंज में इस परियोजना का शिलान्यास किया था। यह नई रेललाइन बन जाने से लोगों को काफी राहत मिलेगी। औरंगाबाद से पटना की दूरी डेढ़-दो घंटे में तय हो सकेगी। जबकि अभी पटना से औरंगाबाद जाने में पांच घंटे लगते हैं। औरंगाबाद के लोग अभी ट्रेन पकड़ने 12 किलोमीटर दूर अनुग्रह नारायण रोड स्टेशन जाते हैं।

बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन से ये होंगे फायदे

रेल लाइन तीन संसदीय क्षेत्र पाटलिपुत्र, जहानाबाद और औरंगाबाद से होकर जाएगी।
इस परियोजना के पूरा होने से लोगों की आवाजाही बढ़ेगी, व्यापार बढ़ेगा।
अभी इस इलाके में यातायात के लिए सिर्फ सड़क की सुविधा है, हर दिन लोगों का जाम से सामना होता है।
रेल लाइन बनने से लाखों लोगों का पटना आना-जाना आसान हो जाएगा।
ट्रेनों का परिचालन शुरू होने से क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
पटना जिले के बिहटा, बिक्रम, पालीगंज, महाबलीपुर, अरवल और औरंगाबाद जिले के बड़ी आबादी को फायदा होगा।
पटना से औरंगाबाद की दूरी डेढ़-दो घंटे में तय होगी, अभी चार से पांच घंटे लगते हैं।
औरंगाबाद -बिहटा रूट पर जाम के मौजूदा प्वाइंट
औरंगाबाद-पटना हाईवे पर जसोईया मोड़, ओबरा, दाउदनगर, नौबतपुर-अमरपुरा लख, नौबतपुर बाजार, बिहटा चौराहा और अरवल बाजार से बैदराबाद तक जाम रोज का किस्सा है। इस परियोजना की जमीनी हकीकत यह है कि शिलान्यास के 16 साल गुजरने के बावजूद सर्वे से आगे नहीं बढ़ा है काम। इस बीच पटना से औरंगाबाद जाने वाले लोग लगातार परेशान हैं, क्योंकि वाहनों के बढ़ते दबाव के कारण हर दिन यह रूट जगह-जगह जाम हो जाता है।

अगर इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाए, तो जाम की समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाएगी। साथ हीं औरंगाबाद से पटना आने-जाने वालों का सफर आसान हो जाएगा। साथ ही यह रूट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर से भी जुड़ जाएगा। जिससे माल ढुलाई के लिए पटना ही नहीं दीघा ब्रिज के रास्ते छपरा-सोनपुर रूट से भी सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी। इससे रेलवे सैंकड़ों करोड़ राजस्व का फायदा सलाना होगा।

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