झारखंड में महज 25 रुपये के लिए बच्चे अपराधी बन रहे हैं। शहरों में केवल 25 रुपये के लिए बच्चों को अपराधी बनाया जा रहा है। मासूमों को शुरुआत में केवल 25 रुपये का डेंड्राइट देकर अपराध करने के लिए तैयार किया जाता है।
चोरी के 1 साल के मामलों का अनुसंधान कर रही पुलिस की टीम को अपनी जांच में यह जानकारी मिली है। जांय में यह पाया गया है कि 2022 में घर में हुई चोरी के 153 मामलों में 48 ऐसे मामले थे जिसमें बच्चों का इस्तेमाल किया गया था।
घर की चिटकनी खोलने में होता है इस्तेमाल
बच्चों का इस्तेमाल चोर गिरोह द्वारा मकान की चिटकनी खोलने के लिए किया जाता है। बच्चों को वेंटीलेटर से मकान के अंदर प्रवेश कराया जाता है। वह मकान में घुसकर चिटकनी खोल देते हैं। इसके बाद चोर गिरोह के बड़े सदस्य घर के अंदर प्रवेश करते हैं। मामलों में गिरफ्तार बच्चों ने भी पूछताछ में यह बताया है कि वे केवल नशा करने के लिए अपराध करते हैं।
हिस्सेदारी के रूप में मिलती है केवल डेंड्राइट
जिन मकानों में चोरी है, उसमें कुछ घर ऐसे हैं जिनके आसपास डेंड्राइट का ट्यूब पाया गया। अनुमान लगाया जा रहा है कि इन बच्चों को देने के लिए ही डेंड्राइट लाया गया था। पहले भी चोरों का गिरोह जब भी पकड़ा गया है उसमें डेंड्राइट का इस्तेमाल करने की बात सामने आई है। मकान में चोरी के लिए बच्चों का इस्तेमाल करने वाला गिरोह स्थानीय है। चोरी के बाद गिरोह के सदस्यों द्वारा बच्चों को हिस्सेदारी के रूप में सिर्फ डेंड्राइट ही दिया जाता है।
इस गिरोह के द्वारा ही स्थानीय स्तर पर आभूषण को सोनार के पास बेचा जाता है। पहले भी छापेमारी में गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है।