संवाद
आंध्र प्रदेश में अमरावती राजधानी का काम शुरू होने के बाद लोगों की जिंदगी जितनी तेजी से बदली और 2019 में काम रुकने पर उतनी ही तेजी से अर्श से फर्श पर आ गई। सिंगापुर की कंस्ट्रक्शन कंपनी की मदद से इसे विकसित किया जा रहा था। 51% फॉरेस्ट और 10% वाटर कवर वाली पहली राजधानी बनती। इस शहर को प्रदेश से जोड़ने के लिए 36 सड़कें बननी थीं।
इनमें कुछ 225 फीट तक चौड़ी थीं। 185 एकड़ में जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के 5 टॉवर खड़े होने थे। रॉफ्ट फाउंडेशन के लिए जमीन पर 20% मोटी कंक्रीट बिछाई गई। यह टॉवर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते। गांव के लोग कहते हैं, राजधानी का काम शुरू होते ही पूरा इलाका कंस्ट्रक्शन साइट में बदल गया था। 30 से 35 हजार बाहरी मजदूर आए। नए बाजार बने। लोग नए-नए बिजनेस शुरू कर रहे थे।
रेस्त्रां, शोरूम से लेकर तमाम दुकानों पर ताले लटके मिले
सरिया-सीमेंट और हार्डवेयर के कारोबारी मनोज कुमार कहते हैं, ‘हमारा काम इतनी तेजी से चला कि मांग पूरा करने के लिए पांच गांवों में गोदाम खोलने पड़े। उस वक्त एक दिन में जितनी बिक्री होती थी, अब उतनी सालभर में नहीं हो रही। हम जब अमरावती के अन्य इलाकों में पहुंचे, तो रेस्त्रां, शोरूम से लेकर तमाम दुकानों पर ताले लटके मिले।
3 हजार प्रदर्शनकारी किसानों पर मामले
65 वर्षीय रामबाबू कहते हैं कि प्रदर्शन को लेकर हम पर मुकदमे किए गए। बेटे नरसिम्हा पर दो केस हैं। 400 से ज्यादा केस में करीब 3 हजार किसान नामजद हैंं। धरना, मुकदमे और बिगड़ती हालत से हम सब तनाव में हैंं। अमरावती प्रतिरक्षणा समिति के सदस्य श्री जय कृष्ण गुर्रम दावा करते हैं कि तनाव के चलते 4 साल में 100 से ज्यादा किसानों की मौत हार्ट अटैक से हुई है।
वे कहते हैं कि आंध्र प्रदेश रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2014 के अनुसार पहली सरकार को ही राजधानी तय करने का हक है। मौजूदा सरकार के पास राजधानी बदलने का हक नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट में जीतेंगे।