संवाद
पटना।उत्तर प्रदेश की मूल निवासी तथा बिहार में पली-बढ़ी आकांक्षा चित्रांश ने समाज सेवा को ही अपने जीवन का मूल उद्देश्य बना लिया है,और बिहार की राजधानी पटना और लखीसराय को अपनी कर्मभूमि. लखीसराय जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षा का अलख जगा रही आकांक्षा समाज सेवा की अनूठी मिसाल कायम कर रही है. अपने मुट्ठी भर साहसिक साथियों के साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षा का अलख जगा रही आकांक्षा भूख गरीबी बेरोजगारी जैसे ज्वलंत समस्याओं के साथ ही साथ सामाजिक कुरीतियों पर भी प्रहार कर रही है. संस्कृति फाउंडेशन के माध्यम से यह रक्तदान जैसे पुनीत कार्यों को बढ़ावा भी दे रही है.कई महीने से इनके उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए इन लिखने का मूड बना रहा था पर.कुछ खास लिख नहीं पा रहा था.इसी दौरान कोरोना संकट मे जब इन्होंने पटना के पटेल नगर शास्त्री नगर स्लम बस्तियों में तथा लखीसराय के ग्रामीण इलाकों में अपने निजी कोष से बिना किसी शोर-शराबे के जरूरतमंद लोगों के बीच खाना आनाज व दवाइयां बाँटना शुरू किया तब उन्होंने अपनी ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया. एक साधन संपन्न परिवार में जन्म लेने वाले आकांक्षा ने लखीसराय विद्यापीठ से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की इसी दौरान लखीसराय से इनका लगाव बढ़ा। कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने के बाद दिल्ली में सरकारी नौकरी में आई पर इनका मन वहा नहीं रमा फिर पर एक मल्टीनेशनल कंपनी में उच्च अधिकारी बनी वहां भी कुछ बात नहीं बनी वापस पटना लौटी तथा समाज सेवा में अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया राजधानी पटना के जल प्रलय के समय उनकी टीम के द्वारा काफी बेहतर कार्य किया गया साथ ही साथ लखीसराय के नक्सल प्रभावित गांवों को गोद लेकर शिक्षा का अलख जगाया।