संवाद
अब पुलिस की गाड़ी ही सड़क हादसों में घायल हुए लोगों को अस्पताल पहुंचाएगी, इलाज के लिए एम्बूलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस वाहनों में प्राथमिक इलाज की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। उनमें पोर्टेबल स्ट्रेचर भी शामिल होगा।
रांची 11 फरवरी। अब पुलिस की गाड़ी ही सड़क हादसों में घायल हुए लोगों को अस्पताल पहुंचाएगी, इलाज के लिए एम्बूलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस वाहनों में प्राथमिक इलाज की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। उनमें पोर्टेबल स्ट्रेचर भी शामिल होगा। इस पहल से घायल समय से अस्पताल पहुंच सकेंगे। वैसे भी सड़क दुर्घटनाओं में घायलों के लिए शुरुआती समय ''गोल्डेन ऑवर'' कहा जाता है। यदि समय से इलाज मिल जाए तो घायलों के जान बचने की संभावना बढ जाती है। इसकी शुरुआत राजधानी से हो चुकी है।
सड़क हादसों के वक्त पहले पहुंचती है पुलिस
किसी भी सड़क दुर्घटना के समय सबसे पहले पुलिस ही मौके पर पहुंचती है। यह निर्णय यही देखते हुए लिया गया। पुलिस वाहनों में मेडिकल किट की व्यवस्था करायी जा रही है। शुरुआत में पुलिस द्वारा सीएसआर फंड से 20 पोर्टेबल स्ट्रेचर खरीदा जा चुका है। गाउन व अन्य जरुरी चीजें भी मुहैया करायी जा रही है। गंभीर रुप से घायल हुए लोगों को पोर्टेबल स्ट्रेचर के जरिए अस्पताल पहुंचाना आसान होगा।
खरीदे गए जरुरी सामान
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक घायलों को समय से अस्पताल पहुंचाने के लिए फोल्डिंग स्ट्रेचर की खरीद की गयी है। सामान्यत: एम्बूलेंस नहीं मिलने की वजह से घायलों को पुलिस या किसी अन्य वाहन से अस्पताल पहुंचाया जाता है, जो मानवीय नहीं होता है। फोल्डिंग स्ट्रेचर से उन्हें अस्पताल पहुंचाने में दिक्कत नहीं होगी।
पुलिस कर्मियों को किया जाएगा प्रशिक्षित
राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित थानों के पुलिसकर्मियों को इस बाबत प्रशिक्षण दिया जाएगा। आपको बता दें कि बीते बुधवार को एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर व सड़क सुरक्षा कोषांग, डीआईजी सुनील भास्कर की अध्यक्षता में बैठक हुई थी।
बैठक में सड़क हादसों पर नियंत्रण को लेकर बात हुई थी। तय किया गया था कि हर थाने के तीन पुलिसकर्मियों को प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दी जाए। ताकि सड़क हादसों में घायलों को समय से इलाज मिल सके।