मंदिर में खास
मंदिर में छोटे-बड़े आकार की सकड़ों घंटियां बहुत नीचे से ऊपर तक टगी है जिसको बच्चे आसानी से बजा सकते हैं। हर-हर महादेव के उद्घोष और घंट-शंख की ध्वनि से मंदिर परिसर से लेकर सड़कों पर भगवान शिव की महिमा गूंजती रहती है। दशहरा के पर्व में 10 दिनों तक अखंड भजन, संकीर्तन का पाठ होता है। इसके अलावा सावन में महाशिवरात्रि पर लाखों भक्त शिव जलाभिषेक करते हैं। सालों भर पर्यटक का आना जाना लगा रहता है।
क्या देखें
कमलदाह सरोवर
छोटे-बड़े मंदिर
देशी और विदेशी साइबेरियाई पक्षी
शिव श्रृंगार
हर छोटे-बड़े आकर की घ्ाटी
मंदिर में उछल कूद करते बंदर (लंगूर)
कलश यात्रा के दौरान रास्ते में लोगों का हुजुम
इतिहास
ऐसी मान्यता है कि मेंहदार के इस प्राचीन शिवालय स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से सारी मनोकमानएं पूरी होती है। नि:संतानों को संतान तथा चर्मरोगियों को भी उसकी बीमारी से निजाजत मिल सकता है। कहा जाता है सैकड़ों वर्ष नेपाल के महाराज महेंद्र वीर विक्रम सहदेव कुष्ठरोग से ग्रस्ति थे। वाराणसी यात्रा के दौरान राजा एक घने जंगल में रात्रिविश्राम करने हेतु छोटे से सरोवर किनारे रूके। भगवान शिव ने राजा को सपने में कहा कि तुम इस छोटे सरोवर में नहाओ और यही पीपल के पेड़ के नीचे मेरा शिवलिंग है जिसको तुम निकालो। राजा ने सुबह उस छोटे सरोवर में नहाकर उसी से शिवलिंग पर जलाभिषेक किया तो राजा का बीमारी ठीक हो गया। राजा ने शिवलिंग को अपने साथ ले जाने का कार्यक्रम बनाया तो रात में भगवान शिव ने राजा को पुन: स्वप्न में कहा कि तुम शिवलिंग को यही स्थापित करो और मंदिर का निर्माण करवाओ। राज ने मंदिर का निर्माण करवाया और उस छोटे से सरोवर को 552 बीघा में विस्तृत कराया। बड़े सरोवर की खुदाई में राजा ने एक भी कुदाल का प्रयोग नहीं करवाया और उसकी खुदाई हल और बैल से करवाया।
शिवलिंग का विशेष श्रृंगार
भोलेनाथ के श्रृंगार को देखने के लिए मंदिर में श्रद्धालु और पर्यटक खास तौर पर आते हैं। यहां शिवलिंग का शहद, चंदन, बेलपत्र और फूल से विशेष श्रृंगार किया जाता है। पहले शहद से शिवलिंग का मालिश करने के बाद चंदन का लेप लगाया जाता है। उसी लेप का शिवलिंग पर हाथों से डिजाइन बनाया जाता है। राम और ऊं लिखा बेलपत्र, धतूरा और फूलों से भगवान शिव का श्रृंगार होता है।
मंदिर निर्माण की विशेषताएं
मंदिर का निर्माण लाखौरी ईट और सुर्खी-चूना से हुआ है। चार खंभों पर खड़ा मंदिर एक ही पत्थर से बना है जिसमें कहीं जोड़ नहीं है। मुख्य मंदिर के ऊपर बड़ा गुबंद है जिस पर सोने से बना कलश और त्रिशुल रखा है। मंदिर के चारों तरफ आठ छोटे-बड़े मंदिर है जिनके ऊपर भी उसी डिजाइज और कलर का गुबंद है। मुख्य मंदिर में शिव का ऐतिहासिक काले पत्थर का शिवलिंग है जिसके चारों तरफ पीतल का घेरा है।
कैसे पहुंचे
रेल और सड़क मार्ग द्वारा आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है। सीवान से नजदीकी रेलवे स्टेशन महेंद्रनाथ हाल्ट है। यहां से शेयरिंग आटो या टै्रक्सी से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। बस और अपने सवारी से भी सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।