संघर्षों से जूझ कर संतोष पटेल पहले फॉरेस्ट गार्ड बने और उसके बाद फिर वह पुलिस ऑफिसर बन गए. संतोष 5 साल बाद पहली बार वर्दी पहनकर अपने गांव गए.
उनकी मां घर में नहीं थी तो अफसर बेटा अपनी अम्मा से मिलने खेत जा पहुंचा. वहां संतोष की मां भैंस के लिए चारा काट रही थीं. इस दौरान मां-बेटे के बीच आत्मीय बातचीत हुई.
डीएसपी संतोष पटेल ने मां के साथ बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया. पिछले 48 घंटे में 80 लाख से ज्यादा लोग मां-बेटे की बातचीत का वीडियो देख चुके हैं.
डीएसपी संतोष पटेल इन दिनों अपने नवाचार के लिए लगातार सुर्खियों में हैं. वह 3 दिन पहले सतना में गृह मंत्री अमित शाह के दौरे पर ड्यूटी करने गए थे. वहां से लौटते वक्त संतोष वर्दी में ही अपने गांव पन्ना जिले के देव गांव पहुंचे.
घर पर मां नहीं थीं तो संतोष उनसे मिलने खेत पर पहुंच गए. वर्दी में संतोष और उनकी मां देशी भाषा में आत्मीय बातचीत हुई. संतोष ने इस बातचीत का वीडियो फेसबुक पर पोस्ट किया तो 48 घंटे में 80 लाख से ज्यादा लोगों ने इस बातचीत को देखा और पसंद किया. देखते ही देखते यह वीडियो वायरल हो गया.
दिल को छू लेने वाला पोस्ट
संतोष पटेल ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘डीएसपी बने 5 पांच साल हो गए जब पहली बार अपनी मां के पास वर्दी में मिलने खेत पर पहुंचा. जिसका मातृभाषा में संवाद. अम्मा खेत म गुड़ाली छुवालत. मैं कैहौं कि आराम से रहो कर. अब य काम करैं कै जरूरत निहाय तौ बोली महतारी कै ममता नहीं मानत याय. अपने बेटन का 2 रुपिया जोड़य चाहत ही. पढ़ाई करो चाहिए कहे से नौकरी राजा चीज होत ही, पढ़े से राज गद्दी मिलत ही.’
संतोष ने अपनी मां के लिए आगे लिखा, ‘कभी मुंह से डांटा, कभी डंडे से पीटा, कभी नींबू के पेड़ से बांधा. अनपढ़ थी, लेकिन पढ़ाई के माहौल में बांधकर रखा. जमीन, जायदाद और नेता विधायक सब फेल हैं सरकारी नौकरी के आगे. किसी को मेहनत की कोचिंग लेना हो तो देवगांव में बिना फीस ले सकता है मेरी अम्मा से अमृत आशीष. सुनें शायद आपको अच्छा महसूस होगा, क्योंकि प्रत्येक मां अपने बच्चों के लिए कुछ न कुछ जोड़कर रखना चाहती है.’
पुलिस अफसर की संघर्ष भरी कहानी
संतोष पटेल का बचपन से संघर्ष में बीता है. पन्ना जिले के देवगांव के रहने वाले संतोष गांव के ही सरकार स्कूल में पढ़ते थे. पढ़ाई के साथ-साथ संतोष को अपने पिता के साथ पत्थर तोड़ना, जंगल मे पौधे लगाना और तेंदूपत्ता जुटाने में हाथ बंटाना पड़ता था. इसके बाद उत्कृष्ट विद्यालय पन्ना में दाखिला लिया. यहां से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की.
इसके बाद IIT पास कर भोपाल से सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स पूर्ण किया. साल 2015 में संतोष ने कसम खा ली कि जब तक लाल बत्ती वाली नौकरी नहीं मिलेगी, वह सेविंग नहीं करेंगे. गांव वाले इस बात को लेकर संतोष को ताने भी देते थे.
इस बीच संतोष को वन रक्षक की नौकरी मिल गई. वन रक्षक की नौकरी के दौरान अपनी जिद पूरा करने के लिए पढ़ाई जारी रखी. आखिर में साल 2018 में संतोष का चयन उप पुलिस अधीक्षक के पद पर हो गया. यह खबर सुनकर संतोष के परिवार के साथ पूरा गांव खुशी में डूब गया.