संवाद
महाशिवरात्रि का पर्व आने वाला है. महाशिवरात्रि के पर्व पर इस बार विशेष शुभ मुहूर्त का निर्माण हो रहा है. जिसमें पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होंगे.
महाशिवरात्र के महापर्व को लेकर तैयारियां आरंभ हो गई हैं. शिवभक्त इस महापर्व का वर्षभर इंतजार करते हैं. शिव मंदिरों में इस पर्व को बहुत ही भक्तिभाव से मनाया जाता है. इस वर्ष शिवरात्रि के पर्व विशेष मुहूर्त बन रहा है. इस मुहूर्त में पूजा करने से इस पर्व के फल में वृद्धि होती है.
पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि को मनाया जाएगा. इस दिन चंद्रमा मकर राशि और सूर्य कुंभ राशि में रहेंगे. महाशिवरात्रि का पर्व शिव योग में मनाया जाएगा. इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 55 तक रहेगा.
महाशिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा :
महाशिवरात्रि पर प्रात: स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा आरंभ करें. शिवरात्रि के व्रत में नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए तभी इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है. इसके साथ ही महाशिवरात्रि के व्रत का पारण भी विधि पूर्वक करना चाहिए. सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य समय में ही व्रत पारण करना चाहिए.
चार बार की जाती है भगवान शिव की पूजा :
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा चार बार की जाती है. मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान की पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर संभव हो तो चार बार करनी चाहिए. वेदों में रात्रि के चार प्रहर बताए गए हैं. इस दिन हर प्रहर में भगवान शिव पूजा की जाती है.
महा शिवरात्रि शनिवार वार, मार्च 18, 2023 को
निशिता काल पूजा समय
18 फरवरी को प्रात: 12 बजकर 06 मिनट से प्रात: 12 बजकर 55 मिनट तक. निशिता काल की अवधि: 00 घण्टे 48 मिनट.
शिव जी की पूजा करने से मंगल ग्रह की अशुभता दूर होती है, इस मंत्र का करें जाप -
भगवान शिव ब्रह्मांड के रचयिता हैं -
भगवान शिव को ब्रह्मांड के रचयिता कहा गया है. भगवान शिव ने ही इस संपूर्ण सृष्टि की स्थापना की. इसीलिए भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है. शिव जी को संहार का देवता भी कहा गया है. शिव को आदि भी कहा जाता है.भगवान शिव को ज्योतिषशास्त्र का आधार भी माना गया है. भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं. भगवान शिव अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करते हैं.
शिव उपासना से ग्रहों की अशुभता दूर होती है -
भगवान शिव को ज्योतिष शास्त्र का आधार भी माना गया है. इनकी पूजा करने से ग्रहों की अशुभता दूर होती है. जन्म कुंडली में बनने वाले कालसर्प दोष, अंगारक योग का दोष भी शिव पूजन से दूर होता है. इस समय वृषभ राशि में मंगल और राहु की युति से अंगारक योग बना हुआ है. इस अशुभ योग के प्रभावों को शिव पूजा से दूर किया जा सकता है.
शिव पूजा से मंगल ग्रह की शांति होती है -
भगवान शिव की पूजा करने से मंगल ग्रह की शांति होती है. जिन लोगों की कुंडली में मंगल अशुभ हैं या फिर मंगल और अशुभ ग्रह के संबंध से कोई अशुभ योग बना हुआ तो भगवान शिव की पूजा करने लाभ प्राप्त होता है.
इस मंत्र का जाप करें -
मंगल जब किसी की कुंडली में अशुभ होता है तो व्यक्ति को क्रोधी बना देता है. जिस कारण उसे गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अंगारक योग होने की स्थिति में कई प्रकार की दिक्कतें भी उठानी पड़ती है. इस स्थिति से बचने के लिए भगवान शिव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
ॐ अं अंगारकाय नम: