कहते हैं, जहां चाह होती है, वहां राह होती है। ठीक ऐसा ही कर दिखाया है मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में बड़ामलहरा ब्लाक के पिछड़े गांव चौधरी खेड़ा की गंगा राजपूत (35 वर्ष) ने। गंगा राजपूत ने साथी महिलाओं की सहायता से गांव में 12 एकड़ में फैले मृत तालाब चंदेलकालीन को जीवित कर दिया।
बता दें कि अब इस तालाब से गांव की 80 एकड़ की खेती को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल रहा है और साथ ही कुएं का भी जलस्तर बढ़ गया है।
इस उल्लेखनीय और सराहनीय कार्य को करने के लिए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान के लिए गंगा राजपूत का चयन किया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शनिवार चार मार्च को दिल्ली के विज्ञान भवन में गंगा राजपूत को यह सम्मान प्रदान करेंगी।
वहीं गंगा राजपूत पत्नी जगदीश राजपूत (35 वर्ष) बताती है कि गांव में पीने के पानी लेने के लिए करीब तीन से चार किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। उन्होंने कहा कि गांव का बाबा तालाब साल 1999 से ही सूखा हुआ था। लोग कहते है कि गांव के पूर्व सरपंच ने जब तालाब का जीर्णोद्वार करवाना प्रारंभ किया था तो पूर्व सरपंच के दो बच्चों की आकस्मिक मौत हो गई थी।
उन्होंने आगे बताया कि इस भ्रांति से गांव के लोग तालाब के आसपास तक नहीं जाते थे, और इसी वजह से धीरे- धीरे गांव का यह चंदेलकालीन तालाब सूख गया था। गंगा राजपूत बताती है कि साल 2019 में गांव में ही जल संरक्षण पर कार्यशाला में शामिल होकर उन्होंने इस तालाब का जिक्र किया था।
जिसके बाद तालाब को फिर जीवित करने की योजना बनाई गई। बता दें कि परमार्थ समाज सेवी संस्था से जुड़ कर जल संरक्षण के लिए कार्य शुरू किया गया। जल सहेली बनीं और साथ ही गांव की 25 महिलाओं का समूह बनाकर तालाब को पुनः जीवित करने का कार्य शुरू किया गया।
वहीं गंगा राजपूत कहती हैं जब तालाब पर काम करना शुरू किया गया तो गांव के लोग कहते थे वंश बर्बाद हो जाएगा। इन सब बातों को दरकिनार कर हम लोगों ने तालाब की सफाई का कार्य लगातार जारी रखा। घास सफाई की, गाद साफ की, जहां फूटा था, उसकी मरम्मत का कार्य शुरू किया हुआ और साथ ही तालाब में पानी भरने के लिए पास की बछेड़ी नदी में चेक बंधान किया का भी कार्य किया।
गंगा राजपूत बताती हैं कि दो साल की कड़ी मेहनत और परिश्रम के बाद साल 2021 में यह मृत तालाब एक बार फिर जीवित हो गया। वहीं गंगा राजपूत बताती हैं कि चौधरी खेड़ा मजरा के इस बाबा तालाब में अब साल भर पानी रहता है।
पहले गांव में बड़ी मुश्किल से दो एकड़ जमीन में खेती हो पाती थी, मगर अब इस गांव में 80 एकड़ से ज्यादा जमीन में सिंचाई के लिए यह तालाब पानी दे देता है। बता दें कि इन दिनों तालाब के आसपास गेहूं की फसल लहलहा रही है।