दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने सोमवार को दिल्ली जल बोर्ड के संयुक्त निदेशक नरेश सिंह को बोर्ड के 20 करोड़ रुपये की गड़बड़ी से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया है. एसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में अन्य सरकारी कर्मचारियों या बैंक कर्मचारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है.
नई दिल्ली, 3 मार्च। दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने सोमवार को दिल्ली जल बोर्ड के संयुक्त निदेशक नरेश सिंह को बोर्ड के 20 करोड़ रुपये की गड़बड़ी से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में दिसंबर में एफआईआर दर्ज हुई थी. 20 करोड़ की हेराफेरी के मामले में इससे पहले फ्रेश पे और ऑरम के कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था.
एजेंसी के मुताबिक ACB के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर नरेश सिंह को 20 करोड़ के डीजेबी ई-कियोस्क पानी बिल घोटाले में गिरफ्तार किया है. उन्होंने कहा कि अन्य सरकारी कर्मचारियों या बैंक कर्मचारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए मामले की आगे की जांच की जा रही है. एसीबी ने गबन के मामले में पहले तीन लोगों को गिरफ्तार किया था.
आरोप है कि DJB के संयुक्त निदेशक नरेश सिंह ऑरम और फ्रेश पे के निदेशकों से लाखों रुपये की रिश्वत ले रहे थे. उन्होंने ऑरम और नए वेतन के साथ बिल के भुगतान का मिलान नहीं किया था. आरोप ये भी है कि 2015 में जब पहली बार ठेका बढ़ाया गया था, तब से हर साल (2020 तक) ई-कियोस्क से बिल भुगतान की वसूली के ठेके को बढ़ाने में उन्होंने फ्रेश पे की मदद की.
इससे पहले एंटी करप्शन ब्रांच ने दिल्ली जल बोर्ड में 20 करोड़ के घोटाले मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया था. इसमें Aurrum E Payment का मालिक और डायरेक्टर राजेंद्रन नायर, Aurrum E Payment Company का सीईओ गोपी कुमार केडिया और Fresh Pay It Solution का डायरेक्टर डॉ. अभिलाष पिल्लई शामिल था. डॉ. अभिलाष Aurrum E Payment Company में Authorised Signatory भी था.
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच को मिली शिकायत के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड ने कॉर्पोरेशन बैंक (Corporation Bank) को अपने उपभोक्ताओं के बिल कलेक्शन का जिम्मा दिया था. इसके लिए बैंक से साल 2012 में 3 साल के लिए अनुबंध किया गया. बाद में इसे साल 2016, फिर 2017 और 2019 तक के लिए बढ़ा दिया गया. उपभोक्ताओं के कैश और चेक के लिए जल बोर्ड के ही स्थानीय दफ्तरों में ई-क्योस्क मशीनें लगाई गईं ताकि उपभोक्ता अपने-अपने पानी के बिलों का भुगतान जमा करा सकें.