चैती छठ पूजा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस पावन पर्व की धूम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में देखने को मिलता है। बता दें सालभर में दो बार छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है।
लोक आस्था के महापर्व चैती छठ का आज तीसरा दिन है। 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत 25 मार्च को नहाए खाए की रसम के साथ हुई थी। छठ पर्व के दूसरे दिन. 26 मार्च को खरना पूजा की गई। वही आज 27 मार्च को छठ महापर्व के दौरान शाम के समय डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद अगले दिन यानी 28 मार्च को उगते हुए सूरज को अर्घ देने की परंपरा है। इसी के साथ व्रत का संकल्प पूरा होता है। छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है।
कैसे होती है छठ पूजा
छठ महापर्व को कई जगहों पर कई अलग-अलग नाम से जाना जाता है। कोई डाला छठ कहता है, तो कोई सूर्य षष्टि, छठी मैया के पूजन एवं 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की अपनी ही पौराणिकता और आध्यात्मिकता है। छठ का त्यौहार मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा एवं उपासना का त्यौहार है। इसमें व्रत रखने वाले व्यक्ति 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखते हैं और अपने परिवार व संतान की लंबी आयु व आरोग्य के लिए माता से कामना करते हैं।
क्या है सूर्य अस्त का शुभ समय…?
आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है। आज के दिन छठी मैया के लिए बनाए गए पूजा प्रसाद को लेकर व्रती छठ घाट पर जाते हैं और शाम को सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य देवता को रख देते हैं, लेकिन अर्घ्य देने से पूर्व घाट पर सायं के समय बांस की टोकरी में छठ पूजा की पूजा सामग्री फल और पकवान आदि को अर्घ्य देने से पूर्व रूप में सजाया जाता है और इसके बाद परिवार के साथ सूर्य देवता को अर्घ्य देने की पौराणिकता है। इस दौरान साएं के समय सभी लोग पवित्र नदी और घाट के किनारे एकत्रित होकर सूर्य देवता को जल अर्पित करते हैं।