13 पारंपरिक विश्वविद्यालयों के 262 अंगीभूत (कंस्टीच्यूएंट) कॉलेजों में से लगभग 225 में नियमित प्राचार्य के पद रिक्त हैं। अब इन पदों को भरने की तैयारी है। इसके लिए शिक्षा विभाग नई नियमावली फाइनल कर रहा है। पिछले दिनों विभागीय अफसरों व विशेषज्ञों के साथ नियमावली पर बैठक हो चुकी है। प्राचार्य का पद निश्चित अवधि का यानी 5 वर्षों का ही होगा। एक और कार्यकाल बढ़ सकता है। यह तब होगा जब अवधि विस्तार के लिए संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति और कमेटी अनुशंसा करेगी।
दूसरा कार्यकाल भी 5 साल का ही होगा। यानी प्राचार्य पद के लिए चयनित शिक्षक अधिकतम 10 साल तक पद पर बने रहेंगे, उसके बाद उन्हें अपने मूल विभाग में वापस प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर लौटना होगा। कॉलेज प्राचार्यों की नियुक्ति की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय सेवा आयोग की होगी। यह वही आयोग है जो दो साल में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति नहीं कर सका।
दोनों पदों की नियुक्तियों की अर्हता और मापदंड अलग है। उम्मीद है कि नियमावली तैयार होने के बाद कॉलेजों के प्राचार्य चयन में सहायक प्रोफेसरों के चयन जैसी पेचीदगियां पैदा नहीं होंगी और नियुक्ति समय सीमा के भीतर हो जाएगी। विश्वविद्यालय सेवा आयोग जब विघटित था, तब प्राचार्य की नियुक्ति बीपीएससी और विवि की चयन समिति के माध्यम से होती थी।
नई नियमावली में यह जरूरी
पीएचडी डिग्री, 10 रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हों और 110 रिसर्च स्कोर हो।
प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर के साथ कम से कम 15 वर्ष का टीचिंग या रिसर्च का अनुभव हो।
पहले यह थी नियुक्ति प्रक्रिया
विश्वविद्यालय चयन समिति के माध्यम से प्राचार्य पद पर नियुक्ति की जाती थी।
बिहार राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से भी प्राचार्य पर चयन किया गया था।
योग्यता
कॉलेज या अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में 15 साल टीचिंग या रिसर्च अनुभव वाले शिक्षक ही इस पद के लिए योग्य।
परफॉर्मेंस
अच्छा परफॉर्मेंस रहा तो कुलपति और कमेटी की अनुशंसा पर 5 साल का दूसरा कार्यकाल मिलेगा, इसके बाद अपने मूल पद पर लौटना होगा।
विश्वविद्यालय सेवा आयोग करेगा भर्ती
विश्वविद्यालय सेवा आयोग के माध्यम से प्राचार्य की नियुक्ति होगी। प्राचार्य नियुक्ति के लिए नियमावली बनाई जा रही है। जल्द ही नियमावली को फाइनल कर लिया जाएगा। -दीपक कुमार सिंह, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव
सहायक प्रोफेसर चयन में विवि सेवा आयोग ने लगाया लंबा वक्त, अब विज्ञापन निरस्त
राज्य में विवि सेवा आयोग को अक्टूबर 2020 में ही 52 विषयों में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति का जिम्मा दिया गया था। आयोग ने 4638 पदों के लिए बहाली प्रक्रिया शुरू की। 30 दिसंबर 2020 तक विभिन्न विषयों के लिए 67 हजार आवेदन मिले थे। 2 साल बीत गए। अधिकांश विषयों की स्क्रूटनी नहीं हो सकी। फाइनल रिजल्ट लगभग 450 का ही जारी हुआ। 24 फरवरी को हाईकोर्ट ने आरक्षण मामले पर सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के विज्ञापन को ही रद्द कर दिया।
चिंता : कॉलेज प्राचार्यों की नियुक्ति में भी कहीं विश्वविद्यालय सेवा आयोग, सहायक प्रोफेसरों की नियुक्त जैसा लंबा वक्त न लगा दे। इस समस्या के निदान के लिए नियुक्ति नियमावली में ही शिक्षा विभाग को चयन की समय सीमा तय करना होगा।