बिहार में लगभग 4 हजार 700 नियमित सरकारी कर्मी ऐसे मौजूद हैं, जिनपर विभागीय कार्रवाई या मुकदमा चल रहा है। इसमें सभी विभागों से लेकर जिला और प्रखंड स्तर के कार्यालयों में तैनात कर्मी शामिल हैं। इस सूची में वर्ष 2006 से अब तक जिन कर्मियों पर किसी भी आरोप में विभागीय कार्रवाई चल रही है, उन सभी के नाम शामिल हैं।
रंगे हाथ घूस लेते, ट्रैप में पकड़े गए कर्मियों के अलावा पद का दुरुपयोग करने के आरोपित, आय से अधिक संपत्ति मामले और अन्य तरह के आरोपों में जिन कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई चल रही है, उनके नाम इस फेहरिस्त में हैं। इसमें 15 से 20 फीसदी कर्मी ऐसे भी हैं, जो कार्रवाई संचालन के दौरान ही सेवानिवृत्त हो गए हैं। परंतु इनके खिलाफ विभाग या न्यायालय में अंतिम निर्णय आने तक कार्रवाई जारी रहेगी। ऐसे ज्यादातर मामले न्यायालयों में चल रहे हैं।निगरानी विभाग ने इन सभी कर्मियों की सूची को संकल्पित करते हुए सभी विभागों के प्रमुख से लेकर सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखा है। निगरानी विभाग की तरफ से यह पत्र विशेष कार्य पदाधिकारी ने जारी किया है। इसमें इनके खिलाफ मामला लंबित रहने के कारण निगरानी की तरफ से इन्हें स्वच्छता प्रमाण-पत्र नहीं देने की बात कही गई है। सरकारी कर्मियों को प्रोन्नति से लेकर एमएसीपी समेत अन्य विभागीय कार्यों में इसकी आवश्यकता पड़ती है। इन आरोपित कर्मियों में सबसे ज्यादा करीब 40 फीसदी मामले ट्रैप से जुड़े हुए हैं। भ्रष्टाचार में फंसे सहकारी और ग्रामीण बैंकों के कर्मियों के नाम भी इसमें शामिल हैं।