संवाद
फर्जी डिग्रियों के आधार पर राज्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों की हुई बहाली के मामले की जांच को लेकर दायर किये गये लोकहित याचिका पर हाइकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। इसमें कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह एवं न्यायाधीश मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ के समक्ष निगरानी विभाग ने हलफनामा दायर कर बताया कि 77 हज़ार ऐसे शिक्षक हैं जिनका फाइल नहीं मिल रही है।
दरअसल, पिछले ही दिनों पटना हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को एक सप्ताह का समय देते हुए यह कहा था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें जिसके तहत सभी संबंधित शिक्षक अपना डिग्री व अन्य कागजात संबंधित पदाधिकारी या कार्यालय में प्रस्तुत कर सकें। इसके साथ ही निर्धारित समय सीमा के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें। जिसके बाद अब इस मामले में कल सुनवाई हुई। जिसमें 77 हज़ार ऐसे शिक्षक पाए गए इनका अभी भी हैंजिनकी फाइल नहीं मिल रही है।
मालूम हो कि, पटना हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था की अगर ऐसे शिक्षक अपना पद स्वयं छोड़ देते हैं तो उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जायेगी। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं. वे वेतन भी उठा रहे है। जिसके बाद कोर्ट ने वर्ष 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक है उन्हें एक अवसर दिया जाता है कि वे खुद शिक्षक के पद से इस्तीफा दे दें। इसके बाद भी फर्जी टीचर काम करते रहे।
आपको बताते चलें कि, कोर्ट ने इस पूरे मामलें में निगरानी विभाग को जांच कर कानूनी कारवाई करने के लिए दे दिया था। जिसके बाद निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि राज्य सरकार द्वारा इनके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है। अभी भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। जांच में यह भी पाया गया है कि 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गये. कोर्ट ने इस मामलें को काफी गंभीरता से लेते हुए संबंधित विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।