चर्चित बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की 24 फरवरी को हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल हत्याकांड में बाहुबली अतीक अहमद गैंग का नाम सामने आया है, जिसके बाद अतीक का पूरा परिवार चर्चाओं में आ गया है। पुलिस ने अतीक अहमद की पत्नी और बेटों को इनाम घोषित कर दिया है और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है।
हालांकि, पुलिस अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। लेकिन, इस सबके बीच एक नाम और भी है, जो चर्चाओं में बना हुआ है। वो नाम हैं सपा विधायक पूजा पाल का।
जी हां...यही वहीं पूजा पाल है जिनके पति और बसपा विधायक राजू पाल को अतीक अहमद के गुर्गों ने साल 2005 में सरेआम मौत के घाट उतार दिया था। तभी से वह अकले अतीक गैंग के सामने निडरता से खड़ी है। पूजा बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं और अपने पति के मर्डर के बाद राजनीतिक विरासत को संभाल रही है। आइए जानते हैं अतीक गैंग से लोहा लेने वाली पूजा पाल के बारे में....
अतीक गैंग से लोहा लेने वाली कौन हैं पूजा पाल
पूजा पाल, कौशांबी जिले की चायल सीट से विधायक है और बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। पूजा का परिवार प्रयागराज के कटघर मोहल्ले में रहता था और वहीं, से उन्होंने अपनी पढ़ाई की है। पूजा पाल के पिता पंचर की दुकान चलाया करते थे। खुद पूजा कभी किसी अस्पताल में तो कभी किसी दफ्तर, तो कभी किसी के घर में झाड़ू-पोंछा करके अपना गुजारा करती थीं।
अस्पताल जॉब के दौरान ही पूजा की मुलाकात राजू पाल से हुई थी। दोनों के बीच दोस्ती हुई फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई। विधायक बनने के बाद राजू पाल ने पूजा से 16 जनवरी 2005 को शादी कर ली थी। शादी के बाद पूजा अपनी ससुराल धूमनगंज स्थित उमरपुर नीवां पहुंची थी।
लव मैरिज के 9 दिन बाद ही उजड़ गया था सुहाग
राजूपाल से शादी के बाद पूजा की किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। शादी के महज 9 दिन बाद ही यानी 25 जनवरी 2005 को पूजा पाल का सुहाग उजड़ गया था। जी हां...शादी के 9 दिन बाद विधायक पति राजू पाल को दिनदहाड़े गोलियों से भून डाला गया था। राजू पाल हत्याकांड ने पूरे शहर को हिंसा की आग में झोंक दिया था। तो वहीं, राजू पाल की हत्या का आरोप अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ पर लगा था। तो वहीं, राजू पाल की हत्या के मामले में पूजा पैरोकार बनीं और राजनीति में कमद रखा।
पति की हत्या के बाद पूजा ने संभाली थी राजनीतिक विरासत
राजू पाल की हत्या के बाद उनकी राजनीतिक विरासत पत्नी पूजा पाल ने संभाल ली थी। मायावती ने खुद प्रयागराज पहुंच पूजा पाल को बसपा से विधानसभा उप चुनाव का टिकट सौंपा था। लेकिन, पूजा पाल चुनाव हार गईं।
फिर उसके बाद साल 2007 और 2012 में पूजा दो बार बीएसपी के टिकट पर विधायक चुनी गई। लेकिन, 2017 में बीजेपी के सिद्धार्थनाथ सिंह ने चुनाव हरा दिया। जिसके बाद पूजा ने 2017 में बसपा का दामन छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था। अखिलेश यादव ने भी उनपर विश्वास जताया और 2019 में लोकसभा का टिकट सौंपा था। इसके बाद सपा ने साल 2022 में पूजा पाल को चायल सीट से टिकट दिया था, जहां से वह विधायक चुनी गईं।
अशरफ की हार बनी थी राजू पाल की हत्या का कारण
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि राजू पाल की हत्या का कारण अशरफ की हार बनी थी।
दरअसल, 2004 में शहर पश्चिमी से विधायक अतीक अहमद फूलपुर से सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे तो यह सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर कुछ दिनों बाद उप-चुनाव हुआ।
इस उपचुनाव में राजू पाल ने बाहुबली अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराकर सनसनी फैला दी थी। क्योंकि, उस वक्त अतीक के नाम का डंका बजता था और लोग कांपते थे। अतीक के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठा सकता था। लेकिन, राजू पाल ने तो उनको भारी पराजय दे डाली। अशरफ की हार अतीक खेमे में खलबली मच गई थी।
दिन दहाड़े हुआ था राजू पाल का मर्डर
राजू पाल के विधायक बन जाने के महज कुछ ही महीने बाद उनकी शादी पूजा पाल से हो गई। मगर राजूपाल के विधायक और सादी की खुशी ज्यादा दिन कायम ना रह सकी। 25 जनवरी 2005 को राजू पाल का काफिले जैसे ही सुलेम सराय में जीटी रोड पर पहुंचा तो काफिले को रोककर गोलियों की बौछार की गई। जिसमें राजू पाल समेत तीन लोग मारे गए थे।
इस सनसनीखेज हत्याकांड ने यूपी की सियासत को गर्मा दिया था। इतना ही नहीं, इस हत्याकांड के बाद तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सामने आया था।
पूजा पाल ने अतीक के खिलाफ दर्ज कराई थी FIR
दिवंगत विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने थाना धूमनगंज में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस एफआईआर में सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम को नामजद किया था।
मामला दर्ज हो जाने के बाद पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी थी। पुलिस ने राजू पाल हत्याकांड की विवेचना करने के बाद तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। तो वहीं, इस हत्याकांड में राजू पाल की पत्नी पूजा पाल का चचेरा भाई उमेश पाल एक अहम चश्मदीद गवाह था।