संवाद
भोजपुरी सिनेमा पर ही अब संकट के बादल मंडराने लगे
है।बिहार के ज्यादातर सिनेमा हाल टूटकर अब शॉपिंग मॉल या फिर कोल्ड स्टोरेज बन रहे हैं, उससे भोजपुरी सिनेमा पर संकट के बदल के बादल छाए हुए है। लेकिन खुशी की बात ये है कि अब भोजपुरी की ज्यादातर फिल्में सैटेलाइट चैनल पर रिलीज हो रही है। इससे भोजपुरी सिनेमा के कंटेंट में काफी सुधार आया है। सिनेमा हॉल में जब फिल्में रिलीज होती थी तो उनमें ज्यादातर अश्लील कंटेंट होते थे। लेकिन, जब से सेटेलाइट के लिए फिल्में बनने लगी है तबसे पारिवारिक और साफ सुथरी फिल्में बन रही हैं। इसकी वजह ये है कि चैनल के दर्शक अपने परिवार के साथ बैठकर फिल्में देखते हैं। चलिए इस खास रिपोर्ट में आपकी मुलाकात कुछ ऐसे खास लोगों से कराते हैं, भोजपुरी सिनेमा जिनके लिए सांस लेने से कम नहीं है.भोजपुरी फिल्मों के लेखक एस के चौहान कहते हैं, ''ऐसा नहीं है कि सिनेमा हॉल में भोजपुरी फिल्में बिल्कुल भी रिलीज ही नहीं हो रही है। फिल्में रिलीज हो रही हैं लेकिन जिस तरह से उन फिल्मों को सफलता मिलनी चाहिए नहीं मिल रहीं है क्योंकि हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। आज अगर साउथ की फिल्में ‘पुष्पा’, ‘आरआरआर’, ‘केजीएफ 2’ या और भी फिल्में अगर सिनेमाघरों में चल रही है तो इसकी वजह यही है कि ये फिल्में अपनी जड़ों से जुड़ी हुई हैं अगर भोजपुरी में भी उस स्तर की फिल्में बने तो क्यों नहीं चलेंगी?'भोजपुरी की पहली कतार के कलाकारों में शामिल हीरो दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ को लेकर 'गबरू' फिल्म बना चुके निर्माता मुकेश पांडे कहते हैं, ''आज भोजपुरी फिल्मों के खरीदार नहीं हैं। कोई भी डिस्ट्रीब्यूटर भोजपुरी फिल्म को हाथ नहीं लगा रहा है। अगर निर्माता के पास दस से पंद्रह लाख रुपये फालतू हैं तो ही वह खुद फिल्म रिलीज कर सकता है। लेकिन इसमें भी रिस्क है। इस बात की कोई गारंटी नहीं कि आप थियेटर में खुद फिल्में रिलीज करके पांच हजार रुपये तक भी कमा सके। इसलिए अब ज्यादातर निर्माता सैटेलाइट के लिए ही फिल्में बना रहे हैं क्योंकि यह सेफ बिजनेस है। मैं खुद सात आठ फिल्में अलग अलग चैनलों के लिए बना रहा हूं।'आज की तारीख में ‘भोजपुरी सिनेमा’, ‘बी फोर यू भोजपुरी’, ‘दबंग भोजपुरी’, ‘संगीत भोजपुरी’, ‘बिग मैजिक भोजपुरी’, ‘भोजपुरी सिनेमा टीवी’ जैसे कई भोजपुरी चैनल चल रहे है। भोजपुरी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाने वाले अभिनेता बालेश्वर सिंह कहते हैं, ''आने वाले समय में और भी भोजपुरी चैनल खुलेंगे क्योंकि दर्शकों की डिमांड बढ़ रही है। फिल्में थियेटर में रिलीज हो या चैनल पर, इससे हम कलाकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता। आज भोजपुरी फिल्में खूब बन रही हैं, हम जैसे कलाकार व्यस्त हैं। इससे अच्छी बात एक कलाकार के लिए और क्या हो सकती है?'भोजपुरी फिल्मों के नायक गौरव झा ने इसी सबके चलते अपनी रणनीति पारिवारिक दर्शकों के हिसाब से ही रखी है। उनकी फिल्म का नाम ही 'भगवत गीता' है। फिल्म के प्रीमियर के मौके पर मिले गौरव कहते हैं, ' कोविड के वजह से बिहार के बहुत सारे सिनेमा हॉल बंद हुए हैं। यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है। थियेटर बंद होने की थियेटर मालिकों की अपनी मजबूरी है। लेकिन जो भी थियेटर बचे हैं उनमें धीरे धीरे फिल्में रिलीज हो रही है। लेकिन अब फिल्में इतनी बन रही रही हैं कि सबको थियेटर में रिलीज कर पाना संभव नहीं है। इसलिए अब अधिकतर फिल्में सैटेलाइट पर रिलीज हो रही है। अब तो ज्यादातर निर्माता थियेटर को ध्यान में रखकर फिल्में बनाते ही नहीं हैं। और, इसीलिए भोजपुरी फिल्मों केर रंग, रूप और तेवर भी बदल रहे हैं'।