संवाद
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की चुप्पी का राज गहरा होता है। सियासी जानकार मानते हैं कि जब नीतीश चुप होते हैं तो बड़ा फैसला लेते हैं। खासकर भ्रष्टाचार के मामले पर वो इतने मुखर हैं कि पिछली बार महागठबंधन का साथ छोड़ दिया था। इस बार लालू यादव के साथ हैं। भ्रष्टाचार को लेकर राबड़ी आवास में सीबीआई ने छापेमारी की। लालू यादव से पूछताछ की। सवाल सबसे बड़ा है कि आखिर नीतीश चुप क्यों हैं।
पटना 9 मार्च। पिछले साल मई में सीबीआई ने लालू यादव और राबड़ी देवी के घरों पर छापेमारी की थी। उसके बाद पत्रकारों ने नीतीश कुमार से पूछा था कि आरोप है कि सीबीआई की ये छापेमारी राजनीति से प्रेरित थी। उस वक्त बीजेपी के साथ सरकार चला रहे नीतीश कुमार ने कहा कि मेरे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है और इस संबंध में मुझे कुछ नहीं कहना है। उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में शामिल लोग ही आप लोगों के सवालों के जवाब दे सकते हैं।
नीतीश कुमार का भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ये जवाब टालने वाला था। ये बात उन्होंने 22 मई 2022 को कही थी। अब एक और तारीख पर दिये गये उनके बयान को समझिए। ये तारीख थी 26 जुलाई 2017 इस दिन नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा देकर महागठबंधन से नाता तोड़ लिया था। उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। नीतीश कुमार ने उस दौरान तत्कालीन डेप्यूटी सीएम तेजस्वी यादव से भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफाई मांग रहे थे। नीतीश ने कहा कि तेजस्वी सफाई पेश नहीं कर पाये। इसलिए हम अलग हो गये। कुल मिलाकर उस समय नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को आगे किया। महागठबंधन से नाता तोड़ लिया।
नीतीश कुमार ने तोड़ लिया था महागठबंधन से नाता
एक बार फिर लालू परिवार को लेकर सीबीआई एक्शन में है। पूर्व सीएम राबड़ी देवी, लालू प्रसाद यादव और उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती से पूछताछ कर चुकी है। इस बार भी बिहार में महागठबंधन की सरकार है। डेप्यूटी सीएम तेजस्वी यादव हैं। इस छापेमारी को लेकर नीतीश कुमार रहस्यमयी चुप्पी साधे हुए हैं। हम उनकी चुप्पी पर विस्तार से बातचीत करेंगे।
उसके पहले नीतीश के 2017 में दिये उस बयान को पढ़ लीजिए जो बयान उन्होंने इस्तीफा देने के बाद दिया था। नीतीश कुमार ने राज्यपाल को इस्तीफा देने के बाद मीडिया से कहा कि मैंने अभी राज्यपाल जी से मिलकर इस्तीफा सौंप दिया है। हमने महागठबंधन सरकार 20 महीने से ज्यादा समय तक चलाई। जितना संभव हुआ, हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बिहार की जनता के समक्ष चुनाव के दौरान जिन बातों की चर्चा की, उसी के मुताबिक काम करने की कोशिश की।
हमने बिहार में सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी। बिहार में शराबबंदी लागू की गई। जो कुछ भी काम पहले से चल रहे थे, चाहे वह कृषि विकास का हो या बुनियादी विकास (सड़क, पुल आदि) हो, बिजली हो, कल्याणकारी योजनाएं हों, सबके लिए हमने काम किया। जितना संभव है, हमने वह काम करने की पूरी कोशिश की। 20 महीने पूरे हुए, लेकिन अब जो चीजें उभरकर सामने आईं, अब उस माहौल में मेरे लिए काम करना संभव नहीं। अंतरात्मा की आवाज पर मैंने इस्तीफा दिया है। मैंने किसी का इस्तीफा नहीं मांगा था। तेजस्वी के मामले में राहुल गांधी से भी बात की। हमने अच्छा काम करने की कोशिश की।
सीबीआई कार्रवाई पर नीतीश ने कुछ नहीं बोला
एक बार फिर सीबीआई एक्टिव है। नीतीश कुमार पूरी तरह चुप हैं। ये वहीं नीतीश कुमार हैं जिन्होंने तेजस्वी पर आईआरसीटीसी घोटाले का आरोप लगने के बाद सफाई मांगने लगे।
सियासी जानकार कहते हैं कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात नीतीश कुमार ऐसे ही नहीं कहते हैं। नीतीश कुमार एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। नीतीश कुमार की चुप्पी के पीछे बहुत बड़ा राज है।
अभी दो दिन पहले सीबीआई ने ‘नौकरी के बदले जमीन घोटाला’ मामले की जांच के तहत पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद से दो सत्रों में करीब पांच घंटे पूछताछ की थी। यह मामला, लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री के पद पर रहने के दौरान उनके परिवार को तोहफे में भूखंड प्राप्त होने या इसे बेचने के बदले में लोगों को रेलवे में कथित तौर पर नौकरी दिये जाने से संबद्ध है।
लालू से हुई पूछताछ के बाद अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया आ गई। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने एक ट्वीट में कहा था कि जो विपक्षी नेता भाजपा के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं, उन्हें ईडी-सीबीआई के जरिये प्रताड़ित किया जा रहा है। आज राबड़ी देवी जी को परेशान किया जा रहा है। लालू प्रसाद जी व उनके परिवार को वर्षों से प्रताड़ित किया जा रहा है, क्योंकि वे झुके नहीं। भाजपा विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है।
राबड़ी के समर्थन में आया था विपक्ष
सियासी जानकारों की मानें तो लालू परिवार पर सीबीआई की ओर से की जा रही कार्रवाई पर नीतीश की चुप्पी हैरान करने वाली है। नीतीश कुमार ने इस पर कुछ नहीं बोला है। छापेमारी के दिन से आज तक उनकी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि इधर हाल के दिनों में महागठबंधन में जो स्थिति है, उससे नीतीश कुमार काफी आहत चल रहे हैं। यहां तक कहा गया कि नीतीश ने राजद के दो मंत्रियों की बकायदा क्लास लगा दी है। उससे राजद खेमे में भी नीतीश कुमार को लेकर नाराजगी है। सीबीआई छापेमारी के बाद नीतीश की ओर से बयान नहीं आने से लालू परिवार आहत बताया जा रहा है।
सीबीआई की छापेमारी के बाद सिंगापुर में रहने वाली प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपना गुस्सा जाहिर किया। रोहिणी ने कहा कि पापा को ये लोग तंग कर रहे हैं, अगर उनके तंग करने के कारण उन्हें ज़रा भी परेशानी होगी तो दिल्ली की कुर्सी हिला देंगे। अब बर्दाश्त करने की सीमा जवाब दे रही है।
चुप्पी का राज क्या है?
आपको बता दें कि सीबीआई ने मामले में आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत प्रसाद, राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ एक आरोप पत्र दाखिल किया था और सभी आरोपियों को 15 मार्च को अदालत में पेश होने के लिए सम्मन भेजा गया है।
सीबीआई ने ये जानकारी दी थी कि यह पूछताछ आगे की जांच के तौर पर की जा रही है, जिसमें जांच एजेंसी धन के लेन-देन और वृहद साजिश का पता लगाने की कोशिश कर रही है। राबड़ी से पूछताछ किये जाने की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की थी। लेकिन नीतीश कुमार की तरफ से इस मामले में कुछ नहीं बोला गया। उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साध ली।
सियासी जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार की चुप्पी बहुत कुछ कहती है। वे भ्रष्टाचार के मामले पर हमेशा कठोर निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। यहां तक सीबीआई की छापेमारी के बाद तेजस्वी ने कहा कि उनका परिवार केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी का लगातार विरोध करता रहा है। यही कारण है कि सीबीआई की टीम पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर पहुंची थी। हालांकि, नीतीश की चुप्पी के बाद कयासबाजी का दौर जारी है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि कहीं नीतीश कोई बड़ा सियासी कदम ना उठा लें!