मध्यप्रदेश में विधानसभा 2023 के चुनाव के पहले भाजपा में बड़े बदलाव की चर्चा है। यह चर्चा शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर है। अटकलें हैं कि सूबे में चुनाव से पहले भाजपा संगठन में बड़ा फेरबदल कर सकती है। ऐसा कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को एमपी की कमान सौंपकर शिवराज सिंह चौहान दिल्ली कूंच कर सकते हैं।
शिवराज 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, इन अटकलों के बारे में अभी आधिकारिक रूप से कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
बताया जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में आरएसएस ने एक सर्वे कराया है। इस सर्वे में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। संघ भी चाहता है की सिंधिया को मध्य प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है, इस बात ने विरोधी कांग्रेस खेमे में हलचल मचा दी जाए। इन अटकलों से सिंधिया समर्थक बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं। साल 2019 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले सिंधिया समर्थकों ने आगामी चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि यदि भाजपा सिंधिया को प्रमोट करती है तो कांग्रेस के भीतर बिखराव की स्थिति बन सकती है। कांग्रेस के भीतर ज्योतिरादित्य को टक्कर देने वाला कोई चेहरा भी नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में कांग्रेस के भीतर भी हलचल तेज है।
कांग्रेस अपने घर को दुरुस्त करने में जुट गई है। कांग्रेस सीएम पद को लेकर नेताओं के बयानों से लेकर विधानसभा से जीतू पटवारी के निलंबन तक के तमाम मसलों को लेकर भी बड़ा कुछ नहीं कर पाई है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस शिवराज से ज्यादा ज्योतिरादित्य पर फोकस कर रही है।
सूत्रों की मानें तो बीते एक महीने के दौरान आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा और संघ की कई बार बैठकें हो चुकी हैं। बैठकों में एमपी में बदलाव की चर्चाएं हो रही हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए इस तरह की कवायद की जरूरत पड़ सकती है। यदि भाजपा सिंधिया को प्रमोट करती है तो कांग्रेस के खेमे में हताशा की स्थिति बनेगी। चूंकि सिंधिया कांग्रेस की हर रणनीति और चाल से अच्छी तरह वाकिफ हैं। यही बात सिंधिया के पक्ष को मजबूत कर रही है।
सवाल यह कि क्या भाजपा वाकई सिंधिया को एमपी का नेतृत्व सौंपेगी। विश्लेषकों का कहना है कि यदि भाजपा सिंधिया को सीएम बनाती है तो कांग्रेस में बिखराव और बढ़ेगा।
कांग्रेस के अन्य बड़े नेताओं का रुझान बीजेपी की ओर हो सकता है। यही नहीं शिवराज को केंद्र की राजनीति में ले जाने से लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को फायदा होगा। वैसे भाजपा सूबे में आगामी चुनावों को लेकर क्या फैसला लेगी यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन एक बात तो तय है कि संगठन के ढीले पेच जरूर कसे जाएंगे।
वैसे यदि सूबे के सियासी पन्नों को पलटें तो पाते हैं कि सिंधिया परिवार को दो बार ऐसा मौका मिला। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधव राव सिंधिया भी 2 बार मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए। एक बार तो अलग पार्टी बना ली गई लेकिन कुछ समय बाद इसका कांग्रेस में विलय हो गया।
1989 में जब कांग्रेस के अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री थे, उस समय सीएम पद के लिए माधवराव सिंधिया का नाम भी सामने आया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चाहते थे कि माधवराव सिंधिया को एमपी का मुख्यमंत्री बनाया जाए, लेकिन अर्जुन सिंह ने मोतीलाल वोरा के नाम पर विधायक दल का फैसला करा लिया।
इसके बाद साल 1993 में भी मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में माधवराव सिंधिया का नाम सबसे ऊपर आया था, लेकिन उस समय भी केंद्रीय राजनीति में सक्रिय अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया।
इस प्रकार दो बार माधवराव सिंधिया मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए। उज्जैन उत्तर विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती जो सिंधिया समर्थक माने जाते हैं। उनका कहना है कि यदि केंद्रीय नेतृत्व शिवराज को केंद्र की जिम्मेदारी सौंपता है तो निश्चित रूप से सीएम पद की दौड़ में ज्योतिरादित्य का नाम पहली पंक्ति में है।