गुजरात के सारंगपुर कष्टभंजन हनुमान मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर हनुमान जी की 54 फीट ऊंची मूर्ति का लोकार्पण होने जा रहा है. देश के गृहमंत्री अमित शाह इसका लोकार्पण करेंगे.
इस प्रोजेक्ट को 'किंग ऑफ सारंगपुर' नाम दिया गया था. मूर्ति इतनी विशाल है कि सात किमी दूर से ही इसके दर्शन किए जा सकेंगे. साथ ही इसका वजन 30 हजार किलो है.
प्रोजेक्ट का नाम 'किंग ऑफ सारंगपुर' नाम
करीब तीन साल से इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था. इस प्रोजेक्ट को 'किंग ऑफ सारंगपुर' नाम दिया गया था. मूर्ति का निर्माण नरेश कुमावत ने कुंडलधाम के ज्ञानजीवनदास स्वामी के मार्गदर्शन में किया है. यह प्रतिमा दक्षिणभिमुखी है. प्रतिमा जिस आधार (बेस) पर बनायी गयी है. उस पर हनुमान जी के चरित्र को उजागर करने वाली भित्ति चित्र का निर्माण किया गया है. इसमें सारंगपुर धाम के इतिहास का भी जिक्र है.
11 हजार 900 वर्ग फीट क्षेत्र में एम्फीथिएटर
परिक्रमा और हनुमान जी की मूर्ति के माध्यम में 11 हजार 900 वर्ग फीट क्षेत्र में एम्फीथिएटर बनाया गया है. इसमें 1500 लोगों के बैठने की व्यवस्था रहेगी. प्रतिमा के सामने 62 हजार वर्ग फीट क्षेत्र में विशाल गार्डन बनाया गया है, जिसमें 12 हजार लोग एक साथ बैठकर हनुमानजी के दर्शन, सभा प्रवृति, उत्सव और अन्य सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा ले पाएंगे. किंग ऑफ सारंगपुर प्रोजेक्ट में आर्ट एंड आर्किटेक्ट का सुंदर समन्वय, हिन्दु धर्म की कला संस्कृति और गौरव की अनुभूति कराई गई है.
मूर्ति की विशेषताएं...
- इस मुर्ति की मुकुट 7 फीट लंबा और 7.5 फीट चौड़ा है.
- मुखारविंद 6.5 फीट लंबा और 7.5 फीट चौड़ा बनाया गया है.
- हाथ के कड़े 1.5 फीट ऊंचे और 3.5 फीट चौड़े हैं. हाथ 6.5 फीट लंबे और 4 फीट चौड़े हैं.
- पैर 8.5 फीट लंबे और 4 फीट चौड़े हैं.
- हनुमान जी की जो आभूषण पहनाए गए हैं. वह 24 फीट लंबे और 10 फीट चौड़े हैं.
- हनुमानजी की गदा 27 फीट लंबी और 8.5 फीट चौड़ी है.
- मूर्ति का कुल वजन 30 हजार किलो है.
11 करोड़ रुपये हुए खर्च
पंचधातु से बनाई गई इस मूर्ति को बनाने में एक साल का वक्त लगा है. 11 करोड़ रुपये का खर्चा इस मूर्ति को बनाने में आया है. बताया गया कि केवल मूर्ति बनाने में ही एक सका वक्त लगा, लेकिन मूर्ति का बेस बनाने में करीब तीन साल का समय लगाहै.
यह है इस मंदिर की मान्यता
सारंगपुर कष्टभंजन हनुमान मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां आने पर शनिदेव के प्रकोप से पीड़ित लोगों को कष्टों से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि एक बार भक्तों के कष्ट से क्रोधित होकर भगवान हनुमान का शनिदेव से युद्ध करने से लिए निकले. शनिदेव को जब इसी बात की जानकारी हुई तो वह बहुत डर गए और बचने के लिए उपाय सोचने लगे.
शनिदेव जानते थे कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे शरणागत स्त्री पर कभी हाथ नहीं उठा सकते, इसलिए उन्होंने स्त्री रूप धारण कर लिया और फिर हनुमान जी के चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे साथ ही शनिवदेव ने भक्तों पर से अपना प्रकोप भी हटा लिया.तब से ही इस मंदिर में शनिदेव को हनुमान जी के चरणों में स्त्री रूप में ही पूजा जाता है.