जन सुराज ने बिहार में अपना राजनैतिक खाता खोल दिया है। सारे समीकरणों को ध्वस्त करते हुए जन सुराज समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद सारण शिक्षक विधान परिषद क्षेत्र से विजयी हुए हैं।
जन सुराज अभियान के वरिष्ठ सदस्य धनंजय कुमार सिन्हा बताते हैं कि पिछले साल 2 अक्टूबर 2022 को जन सुराज पदयात्रा शुरू होने के बाद बिहार में जो पहला चुनाव उन लोगों के सामने आया, वह यही शिक्षक एवं स्नातक क्षेत्र का विधान परिषद चुनाव है।
धनंजय के अनुसार जन सुराज और इसके सूत्रधार प्रशांत किशोर के टारगेट में यह चुनाव कहीं था ही नहीं। जन सुराज अभियान के संदर्भ में प्रशांत शुरू से ही कह रहे हैं कि उनका टारगेट 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव है। पर इस विधान परिषद चुनाव का समय जैसे-जैसे करीब आता गया, समर्थकों ने प्रशांत पर चुनाव में भागीदारी के लिए दवाब बनाना शुरू किया। पार्टी बनी नहीं, फिर भी अंततः समर्थकों को सफलता मिली और प्रशांत ने सारण एवं गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवारों को समर्थन देने पर सहमति दी।
उन्होंने बताया कि चुनाव से पूर्व और चुनाव के बाद परिणाम आने तक किसी भी मीडिया ने ऐसा कोई न्यूज नहीं चलाया जिसमें कहा गया हो कि जन सुराज समर्थित उम्मीदवार कहीं किसी टक्कर में है। अंत-अंत तक मीडिया यही कहती रही कि इस विधान परिषद चुनाव में सभी सीटों पर महागठबंधन और एनडीए में ही टक्कर है या यूं कहें कि मीडिया सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में जमीनी हकीकत का सही आकलन नहीं कर सकी।
धनंजय ने कहा कि यह जीत प्रशांत किशोर के अनुभव, कर्मठता और आत्मविश्वास का परिणाम है। प्रशांत खुद मतदान से पूर्व अंत-अंत समय तक जीत का विश्वास मन में लिए पूरे जज्बे के साथ चुनावी-निर्देशन के कार्यों को अंजाम देते रहे।
धनंजय ने कहा कि इस जीत ने जन सुराज के सदस्यों, समर्थकों सहित आम जनता का भी हौसला बुलंद हुआ है। अब बिहार में तीसरे विकल्प के लिए जनता ने दरवाजा खोल देने का मन बना लिया है। जनता के आशीर्वाद से 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज अपने टारगेट को पूरा करने में सफल रहेगी और बिहार में जनता का सुंदर राज स्थापित होगा।
उन्होंने बताया कि कई जिलों में जन सुराज अधिवेशन के दौरान वहां के स्थानीय लोगों ने इस पक्ष में भी मतदान किया था कि जन सुराज को लोकसभा चुनाव भी लड़ना चाहिए। अगर समर्थकों का बहुत ज्यादा दवाब रहा तो जन सुराज 2024 के लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशी उतार सकता है।