बिहार विधानसभा चुनाव में छपरा जिले के माझी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ कर दूसरे स्थान पर रहने वाले चर्चित युवा नेता राणा प्रताप सिंह की 24 अप्रैल को भाजपा में वापसी हो रही है। बिना किसी राजनीतिक विरासत के सारण की राजनीति में एक प्रमुख स्तंभ बन चुके राणा प्रताप सिंह पूर्व में भाजपा में ही थे 2020 के विधानसभा चुनाव के समय में भाजपा के सिंबल पर माझी से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे और उस समय जदयू और भाजपा का गठबंधन थावरिया सीट जदयू के खेमे में चला गया राणा प्रताप सिंह की तैयारी पूरे जोर-शोर से चल रही थी उन्होंने अपने समर्थकों की महापंचायत बुलाई और निर्दलीय ही ताल ठोंक दिया जब चुनाव परिणाम आया तो जदयू उम्मीदवार तीसरे नंबर पर थे और निर्दलीय राणा प्रताप सिंह दूसरे स्थान पर। 2015 के विधानसभा चुनाव में भी राणा प्रताप सिंह निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरे थे और मांझी का पूरा गणित ही बदल दिया था। भाजपा में वापसी को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए अभी से ही राणा प्रताप सिंह के नाम पर मांझी से मुहर लगा दी है। माझी विधानसभा क्षेत्र के वोटरो पर राणा प्रताप सिंह का जबरदस्त प्रभाव है।लोगों के सुख दुख में भागीदार रहते हैं वहां के स्थानीय जन आंदोलनों में भी सबसे आगे रहते हैं चर्चा है कि इनके भाजपा में वापसी होने से महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के कट्टर समर्थक फिर एकजुट होंगे जिसका फायदा 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मिलेगा। भाजपा में वापसी के मुद्दे पर राणा प्रताप सिंह ने कहा कि भाजपा उनकी मूल पार्टी है बरसों से पार्टी से जुड़े रहे पर 2020 में कुछ ऐसी परिस्थितियां हो गई की निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरना पडा। भाजपा ने भी इस बात को महसूस किया कि एक बड़ा मौका खो दिया गया बिना सिंबल के चुनाव लड़ने के बावजूद दूसरे स्थान पर रहा एक आत्मसम्मान की जीत थी जिसको पार्टी ने भी स्वीकार किया पार्टी के वरीय नेताओं के सदा संपर्क में रहा उन्हीं के दिशा निर्देश पर पार्टी में वापसी हो रही है जो भी जिम्मेदारी पार्टी की तरफ से मिलेगी उसका पूरी ईमानदारी से निर्वहन होगा।